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________________ आचार्य सोमकीर्ति एवं ब्रह्म यशोधर भट्टारक सोमकोति ने संवत् १५३३ फागुण शुक्ला ७ बुधवार को फिर एक पञ्चकल्याणक प्रतिष्ठा का नेतृत्व किया । जयपुर के ठोलियों के मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ की धातु की वक्त पञ्चकल्याणक में प्रतिष्ठित मूर्ति विराजमान है ।। इसके एक वर्ष पूर्व संवत् १५३२ में भी वीरसेन सूरि के साथ एक शीतलनाथ की मूर्ति का प्रतिष्ठा करवायी थी। संवत् १५३५ माघ सुदी ५ को सोमकीर्ति अहमदाबाद गये। वहां विशाल स्तर पर ५२ जिन बिम्बों को प्रतिष्ठा की गयी। इस प्रतिष्ठा में भी सोमकीर्ति के साथ प्राचार्य बीरसेन और उनके शिष्य प्र. नाना प्रमुख थे। प्रतिष्ठा कराने वाले थे प्रागवाट जातीय .."राणीसुत जोगदास ।' यद्यपि भट्टारक सोमकीर्ति का काल मुस्लिम काल था जिसमें मन्दिर एवं मूर्ति को तोड़ना जिहाद समझा जाता था लेकिन सोमकीति का अपना प्रभाव था। वे भावकों के लिये रक्षक का कार्य करते थे तथा धार्मिक विधि विधानों को बड़े ठाट से सम्पन्न कराया करते थे । संवत् १५३६ में इन्होंने दो प्रतिष्ठानों को अपना आशीर्वाद प्रदान किया । सर्व प्रथम बैशाख सुदी १० बुधवार को चकिपानि लीशंकर प्रतिमा की प्रतिष्ठा करायो इसमें प्रतिष्ठाकारक थे हूंबढ़ जातीय वध गोत्र वाले गांधी भूपा भार्या राज सुत गांधीमना । मनागांधी की धर्मपत्नी का नाम काऊ था तथा पुत्र एवं पुत्र वधु का नाम डा एवं लाडिकी था। वर्तमान में चौबीसी की प्रतिमा जयपुर के पाण्डे लूणकरण जी के मन्दिर में विराजमान है। जयपुर के पहिले यह प्रतिमा संभवत: पामेर में होगी। इससे यह पता चलता है कि बागढ़ प्रदेश में सम्पन्न इस प्रतिष्ठा में पामेर, सांगानेर के जन बाधु भी सम्मिलित हुए थे। इस प्रतिष्ठा में भी भट्टारक सोमनीति के प्रमुम्ब पिध्य प्रायार्य वीरसेन साथ थे। इसी वर्ष दूसरी प्रतिष्ठा माषसुदी १५ गुरुवार को नरगिह जातीय सापडिया १. संवत् १५३३ वर्षे फागरण शुक्ला ७ बुधे श्री काष्ठासंघे नंद्याम्नाये म, भीमसेन तत्पभ. श्री सोमकीर्ति प्रणमप्ति । २. संवत १५३२ वर्ष वैसाख मुदि ५ रची काष्ठासंघे नंदीनट गच्छे भ. श्री भीमसेन तत्पद्रे सोमकीति प्राचार्य श्री वीरसेनपुरी युक्त प्रतिष्ठित नरसिंह जातीय बोरदक गोत्रे चापा भार्या परगू । भट्टारक सम्प्रदाय -पृष्ठ २६५ ३. संवत् १५३५ वर्षे माघसुदी ५ गुरो श्री काष्ठासंत्रे नंदितट गध्ये विद्यागणे भट्टा रक श्री भीमसेन तत्प भ. श्री सोमकीर्ति शिष्य प्राचार्य श्री वीरसेन युक्त: प्रतिष्ठित अहमदाबाद वास्तव्ये श्री प्राग्वाट जातीय"........ रामी मत जोगदासेन प्राचार्य श्री बीरसेन ।
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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