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________________ प्राचार्य सोमकोति प्रतिष्ठा विधान संवद १५१८ में वे भट्टारक पद पर प्रासीन हुए। इसके पश्चात उन्होंने देश में पञ्च कल्याणक प्रतिष्ठाए सम्पन्न करवाने में रुचि ली ! डुगरपुर जिले के सुरपुर (सुर्यपुर) के मन्दिर में शीतलनाथ स्वामी वी ४."X४६' अवगाहना वाली श्याम पाषाण की भट्टारक सोमकीर्ति द्वारा संवत् १५२२ में प्रतिष्ठित प्रतिमा है । इस प्रतिष्ठा में प्राचार्य श्री बीरसेन उनके सहायक ये तथा प्रतिष्ठा कराने वाले पंडित पक्षमा, समधर, खेइमा सा. लखमा भीमा प्रादि श्रावक थे । राजस्थान में यह प्रथम मूर्ति है जो सोमकीर्ति हारा प्रतिष्ठित प्राप्त ___ संवत् १५२५ में इन्हीं के द्वारा प्रतिष्ठित जयपुर के समीप जयसिंहपुरा लोर के मन्दिर में भगवान पार्श्वनाम की तेत पाषाण की प्रतिमा है। जयसिंहपुरा खोर प्राचीन समय में जैनों का प्रसिद्ध केन्द्र था। पहाड़ियों के मध्य में स्थित होने के कारण यह साधुनों के लिए चिन्तन मनन का अच्छा केन्द्र था 1 जयपुर का क्षेत्र मूलसंघ के भट्टारकों का गा रहा है। इसलिए काष्ठासंघ के भट्टारकों द्वारा प्रतिष्ठित मुर्ति को विराजमान करना सोमकीति एवं उनके शिष्पों के प्रभाव को सूचित करता है। इसके पश्चात् संवत् १५२७ बैशाख बुदी ५ को इन्हीं भट्टारक द्वारा प्रतिष्डित चोवीसी की प्रतिमा जयपुर के सिरमोरियों के मन्दिर में एवं दि. जैन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर में विराजमान हैं। दोनों चौबीसियों में प्रादिनाथ स्वामी की मूलनायक प्रतिमा है । यह प्रतिष्ठा नरसिंहपुरा जातीय श्रावक द्वारा सम्पन्न करवायी गयी थी। प्राचार्य वीरसेन भट्टारक सोमकीति के सहयोगी थे । १. संवत् १५२२ बर्षे पौष सुदी ५ तिथी श्री काष्ठासंघ भट्टारक सोमकीति प्रतिष्ठितं श्री शीतलनाथ बिम्ब पंडित पदमा समधर खेइमा सा० लखमा भीमा कारापित शिष्य आचार्य श्री वीरसेन युक्तः।। २, संवत् १५२७ वर्ष वैशास्त्र बदी ५ गुरी श्री काष्ठासंघे नन्दीतटगच्छे विद्य गणे भट्टारक धी सोमकीर्ति प्राचार्य श्री वीरसेन युग के प्रतिष्ठितं नरसिंहपुरा जातीय पड़नहरगोरे सा, मोहन पी भार्या तेजु पुत्र ५ कहुया भार्या २ बाधुमा, रुषा। भार्या रुपा पुत्र भाऊ पुत्र जूठउ नांदू पुत्र २ संवरु । सी. हलुवी भार्या लक्ष्मी पुत्र सरवण सा. मुदरा भार्या भासु मो. सहदूराम भार्या लाल साकडमा, खेमामा काकण श्री प्रादिनाथ विम्बं करापितं ।
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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