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रामसीतारास
सुग्रीव ती चौद मोहणी कटफ बहु परि मेलाए । कपि वंश मरण प्ररय वंडगा प्रावि नल नील वीर ॥१॥ नलनील नवय गवखराइ मावि सुग्रीव सेख पठावि । चतुरंग दल बल समल बिमान बढी हनमंत वीर तव पावि, साहललीपवन राजा तणो पुत्र प्रजना उपरि सुहो रयण मरिण रावगा पाई पदभुत साहेलडी । परन राजा
तो वहावो।। पवन पूत विक्षात भात ताल परोपकार चतुर नर । राम नाम दुलंभ पामीय पगि लागि जोडीय कर। तब राम स्वामी मुगति मामी जाणी प्रालिंगन दीउ ।
पछि लक्षमण वीर विचक्षरण हणमंतही पासु लीउ ।।।। हनुमान का लंका जाना
लीयो बीटो तिरिस रामचन्द्र तणु पुगा नीघी राम मुदी । लंकां जाइ ने शाल गढ़ मोटीव प्रामसी यानकी सुद्धि । सा॥ रामचन्द्र दीड मान धन धन जनम बन तल पिना। धनि जननी कुलि भान साहेलडी रामचन्त दी मान ||२|| मान दीउ जस्म लोउ कपि वंश मंड। भारिया । रामस्वामी तणे पास अनेक राय ते प्राविया ।
सैन संस्था सुभट लेषा सहस्थ दि प्रक्षोहणी । नाम रावण पुख
विमान मड़ी श्री राम लक्ष्मण माध्या तव संकातणी ॥३॥ माधीय ह्य गर रथ रे विविध परि विमान तणु नही पार । वोस जोयण तणि फेरि कष्टक बैट श्रीराम देवनु सार ।।सा०॥ चाजि भेर नीसारण छोलति बल धन साद सोहावा । कपिवंस राव सुजाणं साहेलाडी वाजि भेर नीसाग ।।च।। भेरीय नाद नीसाण संभलि लंक लोक से बलभल्या । रत्नधवानि केकसीतणा चेता कलकल्या ।