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________________ प्राचार्य सोमकीर्ति एवं ब्रह्म यशोधर सीताय हरण वृतांत सघला राम लक्ष्मणि ते जागीयो । राम पूछि कह न सुग्रीव लंका कवण दिशांइ बसि । मुग्रीव तणो मंत्र वाणी राम तरणी मुण विहसि ॥१४१५ इसिय यंत्री इम भरिण रामचन्द्रह इन्द्र जे दसान रे । रावण नामि विख्यात विद्याधर अरि परि तप जिम भानु रे ।।च || भान्तणो सेकास वास विख्यात लंका जारणीइ । रावण की शक्ति का वर्णन राक्षस बंस वितंस रावण हवि तेह तणो भय भारणी । जिणि इंद्र चंदनि भानु राजा ग्रह बंदी ते राषीया | प्रसुर खग नर दैत्य दाणव तेहां अभिमान लांबीया ।।१५।। लांषीया अहंकार सोल महस रामा मुगटबंधउ लग करी । नवकोटी बाजीनि मयमत्त मय गल बेतालीस लक्ष तम रािए ।।न।। धिरि बितालीस लक्ष रथ वर वियालीस कोटीय पायक | सोल सहस जे देश भोगवि तिहुँ षंडनु नायक ।। सुणु न राम प्रति बीर लक्षमा दौहिलु रावण अति बलो। हथि सीतल सणी तह मास मूको अजोया भणी पाचा बलो ।।१६।। नवम हाल भास साहेलडानी मंत्रीय वाणि सुगवि चार बोल्यु कवण रावण तणु नाम । सयल निशाचर खचर अमर बर लंका सहीत फेडु डाम । साहेलडी राम सणो परसाद लक्षमण धीर गंभीर बीर सिरोमरिण भणि परि जुतारिसु नाद । साहेलडी रामतणो परसाद चढावो।। परसाद साधु सुग्रीव बोलि बाप बलीउ बीर दु । पद रामनामि एक लुपुरण रावरणनिहुं नीपि मु।
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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