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________________ १४४ प्राचार्य सोमकीति एवं ब्रह्म यशोधर रोद्रभूम हूउ सविचार, एकलडो लक्षमश कुमार । अलह न सानि. पार ॥ २६ ॥ तेरिण अवरि ते चंद्रनषा, ततक्षण बाईय बुहतीय लंका शंका रहित ते नारि ॥२७॥ रावण बंधवनि तीणी कहीघो, महीयल रूप मर्यादा रहोउ । सहीए लममी होई ।। २८ ॥ राबणारा सीता हरण रावण मनि उपन्न नेह, नयणडे देषु नारिज तेह । अहनु रूप विशाल ॥३१॥ एकलडो तस लागो ध्यान, पुष्पोत्तर रचीयोय विमान । मा नमई रूप दीठि ।। ३०॥ राम छता किम हरू ए रामा, तत्तभरण विद्या समरी मामा। वामा भेद जणाबयो ।॥ ३१ ॥ माया रूप लक्षमण कीयो, सिंघनाद तीणी तर दीयो। लीयो धनुष ते बाण ॥ ३२॥ रामि शीतल गुफाई की, रक्षण मूक्यो जटायु पक्षी। सुखी चाल्यो वीर ।। ३३ ।। रावण गुफा माहि ते पिठो, सीतल हरी बिमानज बिठो । दौठो ले जटा पक्षी ।। ३४ ॥ अष्टम दाल भास श्री ह्रो श्रावकाचारमी रावण सीता रण ते कीउ, लीयो संग्राम विहंगमिरे । दापि मारीय मुगट तिरिण, पायो ताड्यो श्रवणें संगमि रे ।। यहांवो०।। संग्रामि तायो धरणि पाइयो करा करां करि घणी । संतीय सीता मनिहि चिता उपनी पक्षी तणी । हमा का विलाप मिलाप करतो पुःख परती राम नाम उच्चारए ।
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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