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________________ राम सीतारास चाहषो वंसह जाल ।। १३ ।। वंश जाल फेदतां तूटज, मांचूक तो प्रायु । यूटउ । रूठाउजमत काशि।।१४।। दक वन में शंबक का वध सिर लूटी धरणी तक पडीउ, लक्षमण भलिए पानि जीउ । घडीउए अपराध ।। १५. 11 पडग लेई रामनि दीधु, भावि नमस्कार तिणि कोषु । लीधु प्राश्चित चंग ।। १६ ।। परदूषण नी नारि विशाल, चन्द्रनखा पानी गुणमात्र । करवा पुत्र संभाल 11 १७ ।। पुत्र पडयु दीठ तीणी नापा hit पला: पाति प्राप्यू पाप ॥ १८ ॥ लक्षमण मामि मागि ओवंती, सरणी गुमाइ प्रावीय तुरंती । उभी रही रोचती ।। १६ 11 राम लक्षमण नि सीता देखी, इन्द्राभी मन माहि ऐपी। कोप बही ते बाल ॥ २० ॥ चन्द्रमाला का खरदूषण के पास जामा पुत्र मारियो इगि इम जाणी, बाली पाताल लंका भणी । ठिी तेह शिमान ।। २१ ॥ खरष्टुपण मागिल नाही बात, पुष ता हूवो ते घात । पुःख पामीई नाथ ।। २२ ।। । घोस सहन विद्यापर साधे, संयन मुभर उठया एक हाथे। चाल्या जिहाँ छिराम ।। २३ ।। राम भरिस लक्षमण देव 383, विद्याधर निकमसे रूठड। छूटी लक्षमण वीर ॥ २४ ॥ अनुष बाण लीषो साहस, करि सोहि ते सूरय हाति। साहांमु चाल्यू वीर स २५ ।।
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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