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रामसीतारास
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मुझ तणु पुत्र हुवि भरत नर वर, तेहतणों मान लोपसे ॥ २॥ व ॥ लोपसि मुझती आणि तु जीवीनि किसु करूँ ।
हवि जाउं कंत पासि पति साथि संयम धरू । संगम नीति तप कीति पुत्र मोह न छूटए । काम क्रोध मान माया सहित करम न छूटए
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आठ भागला बीस मूल गुण चलण पालण दोहलु । एह देगंबर तपों मारग तप नहीं ए सोहिलु || ३पविण ॥ दोहलु प्रति घोर कंत मनावा जाइस्यू 1 नहीं मानि भरसह राजगिषु।
राज पालु दुःख टालु सुख भोगबु प्रतिघरणां । सवी समरथ सयल भूपति सेवक होसि पुत्र तां ।
राम मंत्री सेहत लक्ष्मण चमर ढाल सत्तुघन । इपिरि पुत्र पवित्र ग्रह्मणो राज भोगवसिए सुमना ४०॥ । मनह तरिण रे विचार केगामला उठी मनि रली । राजसभा मकारि ततक्षरण भावी निरमली |
गमती का राज्य सभा में माकर अपनी बात कहना
निरमलीय कर कमल जोडवि कांत ने पाये लागये । हुलहुलिय नयां जीवन छंडि आपणु वर मांगये । रविवंश कमल विकापाह णीयर सुणु स्वामी बीनतडी । बैरागि गतु मुगति मातु मह्यं किहि तणी बापडी ||५||२०|| बापडी नारि विचारि कंत विणी किसुं करि ।
शिशियर विए जिम राति तिम प्रभु विण जीव किम घरिचि
किम जीव घरीइ राजकरोड़ कंत विहूणी कामिनी । वेलडी तरवरह पाषि भान, पाषि कमलगी।
are विवेक बिहूणी सील विहूणी भामिनी ।
भाचार पाषि कीरति स्वामी तिम कंस विहूणी कामिनी ।। ६ ।। । कंत विहरणी नारि चारित्र पाषि मुनिबरो ।