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प्राचार्य तोमीति एवं ब्रह्म यशोधर
सजन दान मान दीधा, जनम सणां फल लीधा । माइ याप होउ पाणंद, वाध्यु धर्मनु कंद ॥ इणि परि लक्षमण बीर, अतिबल साहस धीर । बीजु धनुष जे चंग, सागरावतं उतंग ||६| घनुष तीणि ते चड़ावी, अठार किन्या तिहां श्रावी। परणीउ लक्षमण चंग, होउ तिहां अभिनवु रंग ॥१०॥ जनक रायां तणो भाई, कनक राजा से सरवाई । तह तरणो बेटी सुचंग, परणीउ भरत उत्तंग ।।११।। अनेक राया तणी धीय, रूपतणा छइजे लीह । मान कुवर ते सार, ते परण्यु गुणधार ॥१२॥ म्यारि कुवरि सोहाव्या, परापीय प्रजोध्या माव्या।
पारथ राय जयवन्त, भोगवि राज महंत ।।१३।। घरम तणु ए विस्तार, पूजि जिरणवर सारं । पालिए विविध प्राचार, दान देई मबस्तार ॥१४।। (३)
चोथी दाल मास वणजारानी- वणजारा रे सूरज वंशीय राय इणी ।
परिराज करि घणु वणारा रे ॥१०॥ दशरथ हघो विराग राज लेषा मुनिवर ता । मुनिवर तणु राज लेषा भावना भाषि घणु।
मुणवि सजन सयल परिबार अन्तःपुररेइ घणु। राम का राजतिलक करने की घोषणा .
हकारीमा सम्मि भूप मन्त्री राज देवा कारण। राम नाम कुमार ते डर राजा दशरथ इमं भगि।। प्राण्या'. कलस भरि नीर सिंहासन तिहां पाप ।
के गामती तव जाणि राम तणो लोभा व्यापीउ । केगामसी द्वारा विचार
ध्यापीड ममि मान प्रतिषणु सजन प्रागिलि । किम कहें कम पाषि सुक तणाए पराभव हूं किम सहूं। कौसल्या नंदन जगत्र जीवन राम राजा छायसे ।