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प्राचार्य सोमकीर्ति एवं ब्रह्म यशोधर जनकभूपनि विदेहा राणी साथि वेष वर मन भावीया । रयण मणिमय जडित घन घन करीय परीयल माग्मी । मोतिय थालि भराषि सासू मनह रंगि बधावती ।।१३।३१) मास मध्यात्व मोड़नी बधावए सबिमली निरमसी मागिल नामए पावरे, धन धन सीसस बहु बर धन धन रामनी मातरे ॥१॥ धन वन एह कुल निरमल सोहए सूरज वंस रे । पुरुषोत्तम एह उपनो नीपनो रघुराज हंस रे ॥२॥ मुधन धन राय दशरथ समरथ कौशल्या माए रे । रामदेव सेवा सुर करि समरसा पातिक जाह रे ।।३।। तब जनम राउ हरपीउ नरखीत चहूबर चंग रे। रामन तव बरची 5, भीडर १ ग रे ॥४॥
विवाह वर्णन
थाम कनक केरी घडीयाए, जहीयाए रयणमिमा तीरे । वेल भरी परवाल देषण, पण हीरलायोति रे ।।५।। कुसम माला तिही लह लहे महमहि परिमल बाम रे। रिमझिम करि भमरला समरला गाव ए भास रे ॥३॥ तौरणि मोरणी प्रतिषणी, मोतीड़े बन्दरवाल रे । मण्डप डार समारीया समीचित नाटक साल रे ॥७॥ पट्ट कूल बहु प्राणीय मारणीय मणाप छाउ रे ।।। राय कनक जनकह तिहां सीलल पिताय उमाघ रे ।।८।। थांभला परतिय निरमली सोहजली लह लहे घज रे । सोना कलश माणिक जड़ी स्रोमाघड़ी झवझए तेज रे ॥६॥ छत्रीस कुलीय प्रति मली च्यारिसते पाण्या रे । हद फुणेंद सुचंदह मानसि श्रीराम भास्या रे ॥१०॥ सयत्न शृङ्गार ते मङ्गहि रंगहि रचीया श्रीराम रे ।