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________________ रामसीतारास सम तारा धनुष बढाना प्रापणा पिता तणी वाणी सुधणि स्वामि पाणंदीया । सिंह जिम सिंहासरण मेह्वीप सकल सुर नर बंदीया । वंदौमा इन्द्र ते कनक धारे रस्मवरिया करि घसी। जय जवारन साधु करिन रव ऊच्या तब तिहूयण यणी ।।१०।। हिं पंड तणु राय लागो पित्ता तो पाय । धनुष साहामु जाय प्रतिबलूए । मलपतु पग मेहि वररिंग टोडर बोलि । नही कोए राम तोलि निरमलोए ||श्रो०।। निरमलह वेदीय उपरि चडि करि बाम हरित धनु लीउ । दक्षिण हस्ति गुणधरवि रामिवि ज्ञावतं चहाचीयो। टगाकार नादि दह दिरिस गगन मंडल टलटल्या । पालान नि अमृर पुन र पनि बलवस्था ।।११।। खलभल्या सायर भष्ट कुल गिरवर कंपीया मूधर तिहां घणाए । तडाग फूटा सही श्वरहरी एह मही जब सही तिहा कही देवतणाए कोमा देव शब्द सुगनि सृदर सार मार मीरावती । करहि माला फुशम परिमल भ्रमर रम झणकारती । हंस गमणीय सुभस रमप्रिय सीसा लिवर ग्रालीए । जयो जयो श्रीराम देवह कठि बरमाला पालीयि ॥१२॥ धालीइ वरमाला मोहाए कमला । वाम पासे निरमला उभी रही । सयल विद्याधर सुर नर नर बर । कुसुम प्रांजलि भरी तिहां नहीए ।. .. कुशमांजलि सबि भावि, राजा राम स्वाम बधाषिया । . ... या . .
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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