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________________ १२६ आचार्य सोमकोति एवं ब्रह्म यशोधर राम छता किम हरू ए रामा, तत्क्षण विद्या समरी माया वामाभेद जणाव्यो माया सपि लक्ष्मण कीयो, सिंघनाद तीगी तब दीयो लीयो धनुषते बाण रावण ने सीता का हरण कर लिया और उसे अशोक वाटिका में रहने के लिये छोड़ दिया । सीता बहुत रोयी मिहलायी हाथ पर पीटे लेकिन उसकी एक भी नहीं चली। विलाप करती दु.म्न घरंतो राम नाम उच्चार ए स्वामी लक्ष्मण वीर विचक्षण एह संबर टालए ॥ १॥ कवि ने सीता के बिलाप एवं रावण के साथ वार्तालाप का बहुत अच्छा किया है । इसी तरह राम के बिना का कवि ने जो वर्णन किया है उसमें दई है, वियोग जन्य बेदना है। सीता सीता माद फरता कीधां कर्म ते सहा । तरवरह दुगर परति श्रीराम सीता सुधिज पूछए ।।८।। राम सरीवर के पास जाकर चकोर से पूछने लगे कि उसकी सीता कहां गयी। क्या कोई दुष्ट उसे ले गया अथवा किसी च्यान ने उसका भक्षण कर लिया प्रथवा किसी सिंह के मुख में पड़ गयी। पूछए सुधि श्री राम नरेश्वर सरोवर कांठि जमु रही रे । कह न चकोर तम्हे चक्रवाकी दीखी सीतल मुझ सहीरे । सहीय सीता हरण हषो कवण पापी लेइ गयो । कि ध्यानी प्रावी भक्षण कीध तेह तरणो कटिण होयो। सार्दूल सफल कि सिंघ स्वापद सती सीता मुखि पड़ी। बनह मज्झिम कोई मेहली कवरण पुहती यम घडी ||६|| धीरे धीरे सीता हरण का रहस्य खुलने लगा । सुग्रीव ने सीता हरण की पूरी बात राम को बता दी। साथ ही रावण की शक्ति एवं वैभव का भी उसने अच्छा बन कर दिया जिससे राम लक्ष्मण को भी उसकी शक्ति का पता चल जावे। लेकिन राम को तो यह भी पता नहीं था फि लंका किस दिशा में है। जब सुग्रीव ने राम की बात सुनी तो वह भी हंसने लगे
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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