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________________ ब्रह्म गुणकीति १२५ भरत को राज्य देने के पश्चात् राम पिता के चरण छूकर तथा धनुवाण हाथ में लेकर अपने भाई लक्ष्मण एवं पत्नी सीता के साथ बन को बल दिये। राम पिता पनि वेग लागी धनुषवाण ते करि लीउ । बंधव लक्षमण सहित स्वानी सीता साथि बनवास गज ॥ राम वनवास में चले तो गये लेकिन अयोध्या उनके बिना सुनी हो गयी। चारों और हाहाकार मच गया। दशरथ तो कितनी ही बार मूस्थित हुए लेकिन दोष किसको दिया जावे। कर्मों को लीला विचित्र होती है--- राम गये वनवास कर्मना अधर क्रिम लिए । दोस न दीजि काम मुरछा यानी घरखी पर्युए । राम का वन गमन ---- प्रयोध्या से राम मेवाड देश में आये और चित्तोड़गढ़ गये। वहां से वे तीनों नलकलपुर मालपाटण) आये । विन्ध्याचल पर्वत को पार करने के पश्चात् रामपुरी बनाने का यश प्राप्त किया। फिर सोमापुर माये और तप एवं ध्यान करते हुए कुलभूषण एवं देशभूषण परमाये हुए उपसर्ग को दूर किया । इसके पश्चात् दण्डकवन में श्राकर रहने लगे। और वहाँ भी दो चारण ऋद्धिषारी मुनियों का उपसर्ग र क्रिया । rush वन में राम सीता और लक्ष्मण रहने लगे । यहाँ भरत का शासन नहीं था इसलिये एक अलग ही नगर बसाने की योजना के लिये राम ने लक्ष्मण से कहा | लक्ष्मण उपयुक्त भूमि देखने लिये निर्भय होकर घूमने लगे। शंबुक ने लक्ष्मण का मार्ग रोकना चाहा । इस संघर्ष में लक्ष्मण द्वारा शंबुक मारा गया । खरदूषण की स्त्री चन्द्रनखा अपने पुत्र की देखभाल के लिये वहाँ अब मात्री श्रीर अपने पुत्र को मरा हुआ देखा तो रोने लगी। जब चन्द्रनखा ने राम सीता तथा लक्ष्मण को देखा तो उसे अत्यधिक क्रोध आया और वह पाताल लोक में जाकर खरदूषण से जाकर शिकायत की। खरदूषण चौदह हजार विधाघरों के साथ वहीं श्राये जहाँ राम लक्ष्मण थे। लेकिन श्रले लक्ष्मण के सामने वे कोई नहीं टिक सके । इसके पश्चात् चन्द्रनखा रावण के पास गयी और उसने राम लक्ष्मण के बारे में पूरा वृतान्त कहा | चन्द्रनखा की बात सुनकर रावण के हृदय में राम लक्ष्मण के प्रति विद्रोह हो गया और वह पुष्पोत्तर विमान द्वारा वहाँ पहुंचा । उसने सीता को देखा और उसका हरण करना चाहा। वहां उसने मायामयी लक्ष्मण का रूप बनाया और वन में सिंहनाद किया ।
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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