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________________ आचार्य हेमचन्द्र रूप में इस प्रकार उपस्थित किया है । गौर वर्ण के नागरिक अपनी-अपनी पत्नियों सहित भवनों के ऊपर रमण करते हुए देव और नाग कुमारों द्वारा आश्चर्य पूर्वक देखे जाते हैं । अर्थात वहाँ की नारियाँ अपने सौन्दर्य से अप्स - राओं को और पुरुष देवों को तिरस्कृत करते हैं । ७४ छन्द संस्कृत के सभी लोकप्रिय छन्दों का हेमचन्द्र ने अपने काव्य. में उपयोग किया है । महाकाव्य के नियमों के अनुसार सर्ग के अन्त में छन्द में परिवर्तन होता है, मालिनी अथवा शार्दूल विक्रीडित छन्द का वे स्तुति में प्रयोग करते हैं । द्वात्रिंशिका स्तुति में उन्होंने रूढ़ि के अनुसार उपजाति छन्द का ही प्रयोग किया है तथा अन्त में शिखरिणी का प्रयोग किया गया है। रामायण, महाभारत तथा पुराणों को आदर्श मानकर हेमचन्द्र ने अपनी पुराण की रचना की जिसमें पुराणों के अनुसार अनुष्टुभ् छन्द का प्रयोग किया गया है । प्रो० कोबी का मत है कि काव्य की दृष्टि से इनका अनुष्टुभ् सदोष है । किन्तु पुराणों में अनुष्टुभ् इस प्रकार के ही पाये जाते हैं । हेमचन्द्र के काव्य की महत्ता - महाकाव्य, पुराणकाव्य एवम् स्तोत्र काव्य आदि काव्य के प्रत्येक क्षेत्र में हेमचन्द्र की नवनवोन्मेषशालिनी प्रतिभा के दर्शन होते हैं । इनके काव्य में विस्तार के साथ गम्भीरता भी है। केवल धर्म प्रचार का हेतु सामने रखकर काव्यनिर्मित करने वाले महाकवियों में अश्वघोष के पश्चात् आचार्य हेमचन्द्र का ही नाम आदर पूर्वक लिया जा सकता है । किन्तु अश्वघोष का काव्य 'शास्त्र काव्य' नहीं है । हेमचन्द्र ने द्वयाश्रय 'शास्त्र काव्य' लिखकर गुजरात में प्रारब्धा शास्त्र काव्य रचना - शैली की परम्परा को विकासित, वृद्धिगत तथा परिवर्धित किया । यद्यपि भट्ट के पश्चात् कतिपय शास्त्रकाव्य-कार हुए हैं फिर भी इनमें विशेष उल्लेखनीय आचार्य हेमचन्द्र ही हैं । 'भट्टिकाव्यकार' ने अपने भट्टिकाव्य में केवल संस्कृत भाषा के सम्बन्ध में ही कहा है किन्तु हेमचन्द्र ने अपने शास्त्रकाव्य में संस्कृत, प्राकृत दोनों का सफलतापूर्वक वहन किया है । इस प्रकार भट्ट के पश्चात् प्रायः तीन-चार शताब्दियों तक जो परम्पार सुप्त सी हो गई थी उस परम्परा का उन्होंने न केवल उत्थान अपितु परिवर्धन भी किया । १ - कुमारपाल चरित सर्ग १ श्लोक १३ । सा वासना सा क्षणसन्ततिश्च ना भेदभेदामुभयैर्घटेते । ततस्तटादाशि शकुन्तपोत न्यायात्त्वदुक्तानि परेश्रयन्तु ॥ १६
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
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