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________________ हेमचन्द्र के काव्य-ग्रन्थ उनकी शुद्धि भी हो जाना चाहिए। जो लोग अज्ञानता पूर्वक इन नदियों में स्नान करते हैं और अपने आचर-विचार को पवित्र नहीं बनाते उन्हें कुछ भी लाभ नहीं हो सकता। भावनाओं और क्रिया-व्यापारों को पवित्र रखने वाला व्यक्ति ही मोक्ष-सुख को पाता है। इस प्रकार आचार्य हेमचन्द्र ने रस और भावों की सुन्दर और सजीव अभिव्यञ्जना की है। दोहक, मनोरमा आदि अन्य मात्रिक छन्दों का व्यवहार भी किया गया है। सर्गान्त में छन्द बदला हुआ है । वणिक छन्दों में इन्द्रवज्रा का प्रयोग अनेक स्थानों पर हुआ है । शास्त्रीय दृष्टि से इसमें महाकाव्य के सभी लक्षण घटित होते हैं । कथा सर्ग-बद्ध और शास्रीय लक्षणों के अनुसार आठ सर्गो में विभक्त है । वस्तु-वर्णन, संवाद, भावाभिव्यञ्जन, एवं इतिवृत्त में सन्तुलन द्वयाश्रय काव्य के वर्णन यथार्थवादी एवम् चित्रात्मक हैं। उदाहरणाथ भणहिलपुर का वर्णन, कर्ण जब तप कर रहे थे तब यकायक मानसून के आगमन का वर्णन, अर्बुदचल का वर्णन, सिन्धु नदी का वर्णन इत्यादि। ऋतु-वर्णन जल-विहार वर्णन भी अन्य महाकाव्यों से अधिक यथार्थवादी प्रतीत होते हैं । युद्ध वर्णन ओजो गुण सम्पन्न एवम् वीर रस पूर्ण है। मयणल्ल देवी की कथा सुन्दर है। उसमें भावनात्मक स्पर्श है । कम से कम इस भाग का वर्णन करते समय वे भूल गये होंगे कि वे एक महान् वैयाकरण थे। पठन करने का कुतुहल सदैव बना रहता है, प्रशस्तियाँ दरबारी कवित्व का सुन्दर नमूना हैं । इस प्रकार 'द्वयाश्रय' काव्य का प्रधान रस वीर है; किन्तु अन्य सभी रसों का भी सुन्दर परिपाक हुआ है ।' त्रिषष्ठिशलाका पुरुष चरित' में वैदिक पुराणों के अनुसार ही अद्भुत शैली अथवा अतिशयोक्ति शैली को स्वीकार किया गया है, अतः अतिशयोक्ति अलङकार एवम् अद्भुत रस सर्वत्र विद्यमान है । धर्म-प्रभाव भी व्यापक होने के कारण शान्तरस भी आस्वाद्य है । साधारण लोगों में धर्म भावना जागृत करने के लिए यह आवश्यक भी है। किन्तु दूसरे वर्णन भी कम सुन्दर नहीं है। विशेषतः नगरों का वर्णन भव्य एवम् तत्कालीन वास्तुकला के अनुरूप मिलता है। इस महापुराण में धर्म-भावना ही केन्द्र बिन्दु का काम कर रही है। इस केन्द्र-बिन्दु के आसपास अनेक कहानियों का विस्तार है। इन कहानियों पर बुद्ध जातकों का पर्याप्तप्रभाव पड़ा है । एवम् उदात्तरस का परिपोष कर सत्य, शान्ति, क्षमा, अहिंसा आदि सद्गुणों को अपनाने के लिए ये कहानियाँ प्रेरणा देता हैं । हेमचन्द्र के काव्यग्नन्थ सदुक्तियों के आकर हैं। सर्वत्र सदुक्तियाँ बिखरी हुई मिलती हैं।
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
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