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________________ ६४ आचार्य हेमचन्द्र कथानक नहीं, कालिदास के कथानक के समान विशाल कथानक का उनके काव्य में समावेश है। कई जगह प्रसङगों की उद्भावना बड़ी सुन्दर हुयी है। अनूठे दृष्यों की संरचना की गयी है । पाठक इन दृष्यों, प्रसङगों अथवा भावों में अपने आपको भूल जाता है । मध्ययुग के काव्य की समस्त विशेषताएँ इनके महाकाव्य में विद्यमान हैं । वर्णन-चातुर्य, भाव-गाम्भीर्य कोमलपदन्यास, क्लिष्ट पदोपन्यास, अद्वितीय शब्द-बन्ध आदि इस महाकाव्य में विद्यमान हैं। इनके काव्यों में प्रकृति-वर्णन प्रचुरमात्रा में हुआ है। प्रकृति के एक से एक सुन्दर चित्र वहां है । हृदय के सूक्ष्मातिसूक्ष्म अन्तरङ्ग भावों को उनके सच्चे रङ्गरूप में दिखाना प्रत्येक कवि के लिए सम्भव नहीं है। "नारिकेलफलसन्निमं वचो भारवे:' इस प्रकार की उक्ति पण्डितों ने महाकवि भारवि के सम्बन्ध में कही है । वह हेमचन्द्र के काव्य पर शत-प्रतिशत लागू होती है। पण्डित-शैली को अपनाने के कारण तथा शास्त्र-काव्य के रचयिता होने के कारण बाह्यतः उनका काव्य क्लिष्ट प्रतीत होता है, किन्तु जिस प्रकार नारियल के ऊपर का कठोर छिलका निकालने के बाद मधुर रस का आस्वादन होता है, ठीक उसी प्रकार हेमचन्द्र के काव्य के अन्तर भाग मेंभावप्रान्त में प्रवेश करते ही . "नानाविधानि दिव्यानि, नानावर्णाकृतीनिच" इस गीतोक्तिः के अनुसार विविध सृष्टि का दर्शन होता है एवम् विविध रसों का आस्वादन होता है। रस-पक्ष में हेमचन्द्र भरत के रस-सम्प्रदाय के ही अनुयायो एवम् अभिनवगुप्तपादाचार्य के पद चिन्हों पर ही चलते प्रतीत होते हैं। अत: उनके काव्य में शास्त्र पक्ष तथा सम्प्रदाय-पक्ष प्रबल होने पर भी भाव-पक्ष बिलकुल ही अशक्त नहीं हैं । काव्य-कला का सुन्दर दर्शन हेमचन्द्व के काव्य में होता है। अत: विद्वत् शिरोमणि आचार्य हेमचन्द्र संस्कृत साहित्य के एक सुप्रसिद्ध . महाकवि हैं। इनकी रचना-शैली अत्यन्त मनोहर और अर्थ-गौरव से पूर्ण है इससे श्रेष्ठ कवियों की गणना में इनका प्रमुख स्थान है। इनका काव्य 'ओज, प्रसाद, माधुर्य, आदि काव्यगुणों से मण्डित है । उदाहरणार्थ-१२ वें सर्ग में बर्बर राक्षसों के साथ जर्यासह ने युद्ध किया, उस समय इनकी कविता ओजोगुणमण्डिता हो जाती है । प्रसाद गुण तो यत्र-तत्र-सर्वत्र बिखरा मिलता है। माधारण संस्कृत जानने वाला भी इस प्रसाद गुण के कारण रसास्वादन कर १-द्वयाश्रय-सर्ग १२ श्लोक ४७
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
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