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___ आचार्य हेमचन्द्र
पर्व ३- सम्भवनाथ से लेकर शीतलानाथ तक ८ तीर्थङ्करों के चरित इसमें
वणित हैं। पर्व ४- श्रेयांसनाथ जी से धर्मनाथ जी तक ५ तीर्थङ करों, ५ वासुदेव, ५ बल
देव, ५ प्रतिवासुदेवों, और चक्रवर्ती मघवा व सनत्कुमार कुल २२
महापुरुषों के चरित इसमें वर्णित है। पर्व ५- शान्तिनाथ जी का चरित १ भव में तीर्थङकर और चक्रवर्ती दो पदवी
वाला होने से दो चरित गिने गये हैं। पर्व ६- कुन्थुनाथ जी से मुनि सुव्रतस्वामी तक ४ तीर्थङ्करों का, ४ चक्रवतियों
का, २ वासुदेव, २ बलदेव, २प्रतिवासुदेव मिलकर १४ महापुरुषों के चरित इसमें वर्णित हैं। इसमें भी ४ चक्रवर्ती में कुन्थुनाथ जी और अरिनाथ जी उसी भव में चक्रवर्ती भी हुए थे, अतः उन्हें भी सम्मि
लित किया गया है। पर्व ७- निमिनाथ चरित तथा १०, ११ वें चक्रवर्ती, ८ वें वासुदेव, बलदेव,
प्रतिवासुदेव, अर्थात राम, लक्ष्मण एवं रावण का चरित, कुल ६ महापुरुषों का चरित इसमें वर्णित है। इस पर्व में बड़ा भाग रामचन्द्रादि
के चरित का होने से इसे जैन रामायण कहते हैं। पर्व ८- नेमिनाथ जी तथा ६ वें वासुदेव, बलदेव, प्रतिवासुदेव अर्थात् कृष्ण,
बलभद्र तथा जरासन्ध को मिलाकर ४ महापुरुषों के चरित इसमें हैं । पाण्डव नेमिनाथ जी के समकालीन होने थे अत: उनके चरित भी
इस पर्व में समाविष्ट हैं। पर्व 8- पार्श्वनाथ जी तथा ब्रह्मदत्त नाम के १२ वें चक्रवर्ती को मिलाकर दो
महापुरुषों के चरितों का वर्णन इसमें है। पर्व १०- इसमें श्री महावीरस्वामी का चरित है; किन्तु प्रसङ्गोपात्त श्रेणिक
(बिम्बसार या भिम्बसार) अभयकुमार, आदि अनेक महापुरुषों के अधिक विस्तार पूर्वक चरित इसमें लिखे गये हैं । यह पर्व सब पर्यो की अपेक्षा बड़ा है और वीर भगवान का चरित इतने विस्तार से दूसरे ग्रन्थों में उपलब्ध नहीं होता। इस प्रकार १० पर्यों में कुल मिला
कर ६३ शलाका महापुरुषों का चरित इसमें सम्मिलित किये गये हैं।
साधारण जानकारी के लिये ६३ महापुरुषों के नाम दिये जाते हैंतीर्थङ्कर २४- १. ऋषभ, २. अजित, ३. शम्भव, ४. अभिनन्दन ५. सुमति,
६ पद्मप्रभ, ७. सुपाव, ८. चन्द्रप्रभ, ६. सुविधि,