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________________ हेमचन्द्र के काव्य-ग्रन्थ ५१ में अनेक नये छन्दों का प्रादुर्भाव हुआ जिनका संस्कृत में अभाव है । अपभ्रंश में हस्व और दीर्घ स्वर के व्यत्यय के नियम का हेमचन्द्र ने निर्देश किया है। जैसे-सरस्वती-सरसई, माला-माल, ज्वाला-जाल, मारिअ-मारिआ। इस काव्य का प्राकृत में वही महत्व और स्थान है जो संस्कृत में भट्टि काव्य का; किन्तु भट्टि काव्य में वह पूर्णता तथा क्रमबद्धता नहीं है जो हेमचन्द्र की कृति में मिलती है। यह शास्त्रीय काव्य है । इस पर पूर्ण कलश गणी की संस्कृत टीका भी है। कथावस्तु ___ अणहिलपुर नगर में कुमारपाल शासन करता था। इसने अपने भुजबल से राज्य की सीमा को बहुत विस्तृत किया था। प्रातःकाल स्तुति-पाठक अपनी स्तुतियाँ सुनाकर राजा को जाग्रत करते थे। शयन से उठकर राजा नित्यकर्म कर तिलक लगाता और द्विजों से आशीर्वाद प्राप्त करता था। वह सभी लोगों की प्रार्थनाएँ सुनता, मातृगृह में प्रवेश करता और लक्ष्मी की पूजा करता था। तत्पश्चात् व्यायाम शाला में जाकर व्यायाम करता था। इन समस्त क्रियाओं के अनन्तर वह हाथी पर सवार होकर जिन-मन्दिर में दर्शन के लिए जाता था । वहाँ जिनेन्द्र भगवान की विधिवत पूजा-स्तुति करने के अनन्तर संगीत का कार्यक्रम आरम्भ होता था । तदनन्तर वह अपने अश्व पर आरूढ़ होकर धवलगृह में लौट आता था। मध्याह्न के उपरांत कुमारपाल उद्यान-क्रीड़ा के लिए जाता था। इस प्रसङ्ग में कवि ने वसन्त ऋतु की सुषमा का व्यापक वर्णन किया है । क्रीड़ा में सम्मिलित नर-नारियों की विभिन्न स्थितियाँ वर्णित हैं । जब ग्रीष्मऋतु का प्रवेश होता है, तो कवि ग्रीष्म की उष्णता और दाह का वर्णन करता है । इस प्रसङ्ग में राजा की जल-क्रीड़ा का विवरण दिया गया है। वर्षा, हेमन्त और शिशिर, इन तीनों ऋतुओं का चित्रण भी सुन्दर किया है। उद्यान से लौटकर राजा कुमारपाल अपने महल में आता है और सान्ध्य-कर्म करने में संलग्न हो जाता है । चन्द्रोदय होता है । कवि आलङ्कारिक शैली में चन्द्रोदय का वर्णन करता है। कुमारपाल मण्डपिका में बैठता है, पुरोहित मन्त्रपाठ करता है । बाजे बजते हैं, और वारवनितायें थाली में दीपक रखकर उपस्थित होती हैं। राजा के समक्ष सेठ, सार्थवाह आदि महाजन आसन ग्रहण करते हैं। तत्पश्चात् सन्धिविग्राहिक राजा के बलवीर्य का यशोगान करता हुआ विज्ञप्ति पाठ आरम्भ
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
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