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________________ ४८ आचार्य हेमचन्द्र संक्षेप में द्वयाश्रय महाकाव्य की विषय-वस्तु निम्नानुसार है : संस्कृत-कवि परम्परा का अनुसरण करते हुए आचार्य हेमचन्द्र भी मङ्गलाचरण से काव्य का आरम्भ करते हैं । तत्पश्चात् चालुक्य वंश की स्तुति, अणहिलपट्टन का रस-भरित वर्णन करके चालुक्य वंश के मूल-पुरुष मूलराज का वर्णन प्रारम्भ करते हैं । यहाँ प्रथम सर्ग समाप्त होता है । मूलराज के स्वप्न में श्री शम्भु का उपदेश, बन्दीकृत प्रभात-वर्णन, ग्राहरिपु को दण्ड देने के लिए मन्त्रियों को प्रोत्साहन, इत्यादि वर्णन में द्वितीय सर्ग समाप्त होता है। तृतीय सर्ग शरत्कल-वर्णन से आरम्भ होता है। तत्पश्चात् मूलराज की विजययात्रा का उपक्रम, प्रस्थान, जम्बूमालि में सरोवर के किनारे सेना-निवास का सुन्दर वर्णन आता है। चौथे सर्ग में मूलराज के पास ग्रहारि के दूत का आगमन, सम्भाषण, मूलराज का सम्यक् उत्तर, मूलराज के द्वारा प्रेषित दूत का ग्रहारि को सन्देश, ग्रहारि का रण के लिए प्रस्थान, मार्ग में अरिष्ट दर्शन, देवतायन तोड़ते हुए जम्बूमालि में आगमन, इत्यादि बातें समाहित हैं । पञ्चम सर्ग में वीररसपूर्ण युद्ध-वर्णन है । ग्रहारि की प्राण-रक्षा के लिए उसकी पत्नी की याचना, मूलराज के राजधानी में पुनरागमन के साथ यह सर्ग समाप्त होता है। मूलराज के चामुण्डराज नाम का पुत्र होता है । चामुण्डराज का वर्णन यहाँ प्रारम्भ होता है। लाट देश के राजा को दण्ड देने के लिए मूलराज तथा चामुण्डराज दोनों श्वभ्रवती तटपर गये। दोनों के युद्ध-वर्णन, लाट हनन के पश्चात् चामुण्ड के राज्याभिषेक तथा मूलराज के स्वर्ग-गमन वर्णन में छटा सर्ग समाप्त होता है। चामुण्डराज के वल्लभराज, दुर्लभराज और नागराज के नाम तीन पुत्र हुए। वल्लभराज द्वारा मालव देश पर आक्रमण, वहाँ शीतलिका रोग से पीड़ित होकर वल्लभराज का स्वर्ग-गमन, चामुण्ड का पुत्र शोक, दूसरे पुत्र दुर्लभराज को गद्दी पर बैठाकर नर्मदा किनारे तप करने के लिए चामुण्डराज का गमन दुर्लभराज का महेन्द्र की बहन दुर्लभ देवी के स्वयम्बर में जाना, विवाह करना, विवाहोत्सव का वर्णन, नागराज का भी महेन्द्र को दूसरी भगिनी से विवाह, तत्पश्चात् युद्ध के लिए तैयार नृप-गण को मार कर राजधानी में दुर्लभराज का पुनरागमन, इत्यादि विषय सप्तम सर्ग में वर्णित हैं । नागराज को भीम नाम का पुत्र हुआ। भीम का राज्याभिषेक, भीम का चर से भाषण, सिन्ध-पति हम्मुक और भीमराज का युद्ध, हम्मुक की पराजय, इत्यादि विषय अष्टम सर्ग में सम्मिलित हैं । भीमदेव का चेदि देश गमन, दूत का आगमन, सम्मान, भीमराज का वापस चला आना; भीमराज के क्षेमराज और कर्णदेव नामक दो पुत्र हुए ।
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
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