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________________ जीवन-वृत्त तथा रचनाएँ २१ "मुद्रित कुमुदचन्द्र” नाटक के अनुसार 'उत्साह' सिद्धराज जयसिंह का एक सभा पण्डित था। इस नाटक के रचयिता यशश्चन्द्र थे तथा यह नाटक वि० सं० ११८१ में खेला गया था। काश्मीरी पण्डितों ने आठ व्याकरणों के साथ 'उत्साह' नामक वैयाकरण को भी भेजा था तथा इन आठ व्याकरणों की सहायता से हेमचन्द्र ने अपना 'शब्दानुशासन' ग्रन्थ पूरा किया था। अतः अनुमान किया जा सकता है कि पं० उत्साह हेमचन्द्र को कुछ मार्गदर्शन मिला हो । काश्मीरी पण्डितों के साथ सम्पर्क की पुष्टि आन्तरिक प्रमाणों के आधार पर भी सिद्ध होती है। यह निर्विवाद है कि हेमचन्द्र का 'काव्यानुशासन' (सूत्र) मम्मट के 'काव्यप्रकाश' पर आधारित है । यह निर्विवाद है । रसशास्त्र पर चर्चा करते हुए 'नाट्यवेदविवृति' से उद्धरण देकर अभिनवगुप्तपादाचार्य का अनुसरण करने के विषय में वे बार-बार कहते हैं । 'काव्यप्रकाश' की प्राचीनतम हस्तलिखित प्रति ( ताड़पत्र पर ) वि० सं० १२१५ की अणहिलपट्टन में लिखी गई अर्थात् कुमारपाल के राज्य तक विद्या के सम्बन्ध में काश्मीर और गुजरात का घनिष्ठ सम्बन्ध था। ब्राह्मी देवी के वरदान से हेमचन्द्र के सिद्ध सारस्वत बनने की घटना भी असम्भव प्रतीत नहीं होती। इसका समर्थन उनके 'अलङ्कारचूड़ामणि' से भी होता है । भारत में कई मनीषी विद्वानों ने मन्त्रों की साधना द्वारा ज्ञान प्राप्त किया है । हम नैषधकार श्री हर्ष तथा महाकवि कालिदास के सम्बन्ध में भी ऐसी बातें सुनते हैं । आचार्य सोमप्रभ के अनुसार हेमचन्द्र विविध देशों में परोपकारार्थ विहार करते रहे; किन्तु बाद में गुरुदेव के निषेध करने पर गुर्जर देश के पाटन नगर में ही भव्य-जनों को जागरित करते रहे। इस वर्णन से यह अनुमान किया जा सकता है कि गुर्जर एवम् पाटन में स्थिर होने के पूर्व भारतवर्ष का भ्रमण आचार्यजी ने किया होगा। आचार्य हेमचन्द्र में 'शतसहस्रपद' धारण करने की शक्ति विद्यमान थी। राजाश्रयः--हेमचन्द्र और सिद्धराज जयसिंह आचार्य हेमचन्द्र का गुजरात के राजा सिद्धराज जयसिंह के साथ सर्वप्रथम मिलन कब और कैसे हुआ, इसका सन्तोषजनक विवरण अभी तक उपलब्ध नहीं हुआ है । तर्क, लक्षण और साहित्य ये उस युग की महाविद्याएँ थीं । विद्या-प्राप्ति के हेतु एवं अपने पाण्डित्य को कसौटी पर कसने के लिये आचार्य होने के पूर्व उनका अगहिल्लपुर, पाटन में आना-जाना हुआ हो, यह सम्भव प्रतीत होता है। १. प्रबन्धचिन्तामणि-सिद्धराजादि प्रबन्ध ५३-७६ पृष्ठ ६०
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
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