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________________ जीवन-वृत्त तथा रचनाएँ की बात कही। इस पर देवचन्द्राचार्य मौन हो गये। तब पाहिणी ने अनिच्छापूर्वक अपना पुत्र आचार्य को भेंट कर दिया। तत्पश्चात् देवचन्द्र बालक को अपने साथ स्तम्भ तीर्थ ले गये। यह स्तम्भ तीर्थ आजकल खम्बात कहलाता है । यह दीक्षा संस्कार वि० सं० ११५० में माघ शुक्ल चतुर्दशी शनिवार को हुआ। ज्योतिष के अनुसार कालगणना करने पर माघ शुक्ल चतुर्दशी को शनिवार वि० सं० ११५४ में पड़ता है, वि० सं० ११५० में नहीं। अत: प्रभावक्चरित का उक्त संवत् अशुद्ध मालूम पड़ता है। जिनमण्डन कृत 'कुमारपाल प्रबन्ध' में वि०सं० ११५४ ही दिया है । दीक्षा देने के समय हेमचन्द्र की आयु सम्भवतः आठ वर्ष की रही होगी । जैन शास्त्रों के अनुसार दीक्षा के समय ८ वर्ष की आयु ही होनी चाहिये । 'प्रबन्धचिन्तामणि','प्रबन्धकोश', 'पुरातन प्रबन्ध सङ्ग्रह' आदि ग्रन्थ दीक्षा के समय हेमचन्द्र की आयु आठ वर्ष की ही बताते हैं । अतः दीक्षा समय सं० ११५४ ही उपयुक्त प्रतीत होता है । वि०सं० ११५० में हेमचन्द्र कर्णावती पहुंचे तथा माता-पिता की अनुमति प्राप्त करने में तीन वर्ष लग गये हों, यह अनुमान अपेक्षाकृत सत्य एवं सन्तुलित प्रतीत होता है । इस विषय में प्रो० पारीख ने श्री बूल्हर के मत का जो खण्डन किया है वह उचित प्रतीत होता है। श्री पारीख का ऐसा अनुमान है कि धुन्धुका में आचार्य देवचन्द्र की दृष्टि चाङ्गदेव पर विक्रम सम्वत् ११५० में पड़ी होगी । 'प्रबन्धचिन्तामणि' के अनुसार चाङ्गदेव प्रथम देवचन्द्रसूरि के साथ कर्णावती आया । वहाँ उदयन मन्त्री के पुत्रों के साथ उसका पालन हुआ। अन्त में चच्च या चाचिग के हाथों ही दीक्षा महोत्सव खम्बात में सम्पन्न हुआ। उस समय हेमचन्द्र की आयु आठ वर्ष की रही होगी। पिता की आज्ञा की प्रतीक्षा में तीन वर्ष लग जाना स्वाभाविक बात है । दीक्षित होने के उपरान्त सोमचन्द्र का विद्याध्ययन प्रारम्भ हुआ। उन्होंने तर्क, लक्षण एवं साहित्य विद्या पर बहुत थोड़े ही समय में अधिकार प्राप्त कर लिया । तर्क, लक्षण और साहित्य उस युग की महाविद्याएँ थी और १-प्रभावक्चरित, पृष्ठ ३४७, श्लोक ८४८ २-काव्यानुशासन प्रस्तावना-पृष्ठ २६७-६८, महावीर विद्यालय, बम्बई ३-सोमचन्द्र स्ततश्चन्द्रोज्जवल प्रज्ञा बलादसौ । तर्क लक्षण साहित्य विद्याः पर्यच्छिनटुंतम् । प्रभावक्चरितम्हेमचन्द्रसूरि प्रबन्धम्-श्लोक ३७
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
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