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________________ १९६ आचार्य हेमचन्द्र १०,००० श्लोक २०४ ॥ १,८२८ ३,५०० ६,८०० अभिधान चिन्तामणि , परिशिष्ट अनेकार्थकोश निघंटुकोश देशी नाम माला काव्यानुशासन छन्दोनुशासन संस्कृत द्वयाश्रय प्राकृत द्वयाश्रय प्रमाण मीमांसा (अपूर्ण) वेदांकुश त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित्र परिशिष्ट पर्व योगशास्त्र स्वोपज्ञवृत्ति सहित वीतराग स्तोत्र अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका (काव्य) अयोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका (काव्य) महादेवस्तोत्र २,८२८ १,५०० २,५०० १,००० ३२,००० ३,५०० १२,७५०. , . १८८ " क० मा० मुन्शी ने कहा है-"इस बाल साधु ने सिद्धराज जयसिंह के युग के आन्दोलनों को हाथ में लिया, कुमारपाल के मित्र और प्रेरक की पदवी प्राप्त करके गुजरात के साहित्य का नवयुग स्थापित किया। इन्होंने जो साहित्य प्रणालिकाएं स्थापित की, ऐतिहासिक दृष्टि का पोषण किया, एकता की भावना का विकास कर जिस गुजराती अस्मिता की नींव रखी उसके ऊपर अगाध आशा के अधिकारी एक और अवियोज्य गुजरात का मन्दिर निर्माण कर सकते हैं।" आचार्य हेमचन्द्र का विपुल ग्रन्थ-भण्डार एक विशाल ज्ञानकोश है। विभिन्न रुचियों के पाठकों के लिये विभिन्न स्तरानुकूल सामग्री उनके ग्रन्थों में मिलती है । आचार्य हेमचन्द्र का साहित्य एक सुन्दर उपवन के समान है जिसमें तरह-तरह के प्रफुल्लित, मुविकसित वृक्ष हैं । अत: उसमें विभिन्न एवं विविध रसास्वाद हैं। सहृदय रसिक उनके साहित्य में रसमाधुर्य के साथ-साथ रसवैविध्य का भी अनुभव करते हैं।
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
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