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________________ हेमचन्द्र की बहुमुखी प्रतिभा १७३ तो वह सिद्धराज एवं कुमारपाल के समय में ही। इसका श्रेय निःसन्देह पूर्णतया आचार्य हेमचन्द्र को ही है । उस समय गुजरात की शान्ति, तुष्टि, पुष्टि एवम् समृद्धि के लिये आचार्य हेमचन्द्र ही प्रभावशाली कारण थे। इनके कारण ही कुमारपाल ने अपने आधीन अठारह बड़े देशों में चौदह वर्ष तक जीवहत्या का निवारण किया था । कर्णाटक, गुर्जर, लाट, सौराष्ट्र, कच्छ, सिन्धु, उच्च भमेरी, मरुदेश, मालव, कोकण, कीर जांगलक, सपादलक्ष, मेवाड़,दिल्ली और जालंधर देशों में कुमारपाल ने प्राणियों को अभयदान दिया और सातों व्यसनों का निषेध किया। __आचार्य हेमचन्द्र ने अपने पाण्डित्य की प्रखर किरणों से साहित्य. संस्कृति और इतिहास के विभिन्न क्षेत्रों को आलोकित किया है । वे केवल पुरातन पद्धति के अनुयायी नहीं थे । जैन साहित्य के इतिहास में 'हेमचन्द्र युग' के नाम से पृथक समय अंकित किया गया है तथा उस युग का विशेष महत्व है। वे गुजराती साहित्य और संस्कृति के आद्य-प्रयोजक थे । इसलिये गुजरात के साहित्यिक विद्धान उन्हें गुजरात का "ज्योतिर्धर" कहते हैं । उनका सम्पूर्ण जीवन तत्कालीन गुजरात के इतिहास के साथ गुथा हुआ है। उन्होंने अपने ओजस्वी और सर्वाङगपरिपूर्ण व्यक्तित्व से गुजरात को संवारा है, सजाया है और युगयुग तक जीवित रहने की शक्ति भरी है । "हेम सारस्वत सत्र" उन्होंने सर्वजनहिताय प्रकट किया। क० मा० मुन्शी ने उन्हें गुजरात का चेतनदाता "Creator of Gujarat consciousness'' कहा है । 'त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित' की प्रशस्ति में उन्होंने कहा है कि व्याकरण की रचना तो सिद्धराज जयसिंह के अनुरोध पर की गयी किन्तु द्वयाश्रय, काव्यानुशासन, छन्दोऽनुशासन, योगशास्त्र आदि की रचना 'लोकाय' लोगों के लिये की गयी। यहां 'लोकाय' का अर्थ 'साम्प्रदायिक मनोवृति के लोग जैन' किया जाता है, किन्तु निःसन्देह आचार्य हेमचन्द्र के सम्मुख जो श्रोतृवृन्द अथवा पाठकवर्ग था वह जैन सम्प्रदाय से अधिक व्यापक था। उसमें सभी धर्मों के सभी सम्प्रदायों के लोग सम्मिलित थे। - आचार्य हेमचन्द्र कलात्मक निर्माण के भी प्रेरक थे। इनकी प्रेरणा से पश्चिम तथा पश्चिमोत्तर भारत में अनेक मन्दिरों एवं विहारों का निर्माण हुआ। सिद्धपुर में सिद्धराज ने रूद्रमहालय प्रासाद बनवाया। यह २३ हाथ ऊँचा १-जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास-मो. द. देसाई तथा गुजरात एण्ड इट्स लिटरेचर-क. मा. मुन्शी
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
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