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________________ १७२ आचार्य हेमचन्द्र सहायता से मद्यनिषेध सफल किया था। उनकी स्तुतियाँ उन्हें सन्त सिद्ध करती हैं, तथा आत्म-निवेद । उन्हें योगी सिद्ध करता है। वे सर्वज्ञ के अनन्य उपासक थे। आचार्य हेमचन्द्र के दिव्य जीवन में पद-पद पर हम उनकी विविधता, सर्वदेशीयता, पूर्णता, भविष्यवाणियों में सत्यता और कलिकाल-सर्वज्ञता देखसकते हैं । उन्होंने अपनी ज्ञान-ज्योत्स्ना से अंधकार का नाश किया। वे महर्षि, महात्मा, पूर्ण संयमी, उत्कृष्ट जितेन्द्रिय एवं अखण्ड ब्रह्मचारी थे । वे निर्भय, राजनीतिज्ञ, गुरुभक्त, मातृभक्त, भक्तवत्सल तथा वादिमानमर्दक थे। वे सर्वधर्मसमभावी, सत्य के उपासक, जैन धर्म के प्रचारक तथा देश के उद्धारक थे । वे सरल थे, उदार थे, निस्पृह थे। सबकुछ होते हुए भी, प्रो० पीटर्सन के शब्दों में, दुनिया के किसी भी पदार्थ पर उनका तिलमात्र मोह नहीं था। उनके प्रत्येक ग्रन्थ में विद्वत्ता की झलक, ज्ञानज्योति का प्रकाश, राजकार्य में औचित्य, अहिंसा प्रचार में दीर्घदृष्टि, योग में स्वानुभव का आदर्श, प्रचारकार्य में व्यवस्था, उपदेश में प्रभाव, वाणी में आकर्षण, स्तुतियों में गांभीर्य, छन्दों में बल, अलंकारों में चमत्कार, भविष्यवाणी में यथार्थता एवम् उनके सम्पूर्ण जीवन में कलिकाल-सर्वज्ञता झलकती है। आचार्य हेमचन्द्र जैनाचार के प्रति केवल आस्थावान ही नहीं थे अपितु स्वयं भी एक सूरि का जीवन व्यतीत करते थे। उन्होंने अपने प्रभाव एवम् उपदेश से ३३००० कुटुम्ब अर्थात लगभग १॥ लाख व्यक्ति जैन धर्म में दीक्षित किये । इतना सब होते हुए भी हेमचन्द्राचार्य प्रकृति से सन्त थे । सिद्ध राज जयसिंह एवम् कुमारपाल की राज्यसभा में रहते हुए भी उन्होंने राज्यकवि का सम्मान ग्रहण नहीं किया। वे राज्यसभा में भी रहे तो आचार्य के रूप में ही। गुजरात का जीवन उन्नत करने के लिये उन्होंने अहिंसा और तत्वज्ञान का रहस्य जनसाधारण को समझाया, उनसे आचरण कराया और इसीलिये अन्य स्थानों की अपेक्षा गुजरात में आज भी अहिंसा की जड़ें अधिक मजबूत हैं। गुजरात में अहिंसा की प्रबलता का श्रेय आचार्य हेमचन्द्र को ही है । गुजरात ने ही आचार्य हेमचन्द्र को जन्म दिया तथा गुजरात ने ही आगे जाकर महात्मा गाँधी को जन्म दिया। यह दैवी घटनाओं का चमत्कार प्रतीत होता है, किन्तु वास्तव में आचार्य हेमचन्द्र ने अपने दिव्य आचरण से, प्रभावकारी प्रचार एवं उपदेश से महात्मा गांधी के जन्म की पृष्ठभूमि ही मानों तैयार की थी। भारत के इतिहास में यदि सर्वथा मद्यविरोध तथा मद्यनिषेध हुआ है १-हेमचन्द्राचार्य- ईश्वरलाल जैन-आदर्श ग्रन्थमाला,मुलतान ।
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
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