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हेमचन्द्र की बहुमुखी प्रतिभा
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सर्वज्ञ की उपाधि प्राप्त की थी। उनकी योग्यता, उनकी क्षमता, उनका जीवन, उनका कार्य, उनका आचार-व्यवहार-चरित्र सभी गुण शतप्रतिशत आचार्य के समान थे।
आचार्य के साथ-साथ वे कलिकाल-सर्वज्ञ भी थे। महान् विद्वान् के साथ-साथ वे चमत्कारी पुरूष थे। योगसिद्ध होने से उन्होंने अनेक अलौकिक बातें क्रियान्वित की थीं। आचार्य हेमचन्द्र मन्त्र-विद्या में पारङगत थे किन्तु उन्होंने उसका उपयोग सांसारिक वैभवों की प्राप्ति में कभी नहीं किया। उनके पास विद्याएँ थीं, मंत्र थे और उन्हें देवियां सिद्ध थीं। किन्तु आचार्य हेमचन्द्र ने उनका कभी रागात्मक प्रयोग नहीं किया। हेमचन्द्राचार्य स्वयं चमत्कारसिद्ध पुरुष थे फिर भी वे लोगों को चमत्कार के जाल में मोहित करना नहीं चाहते थे। उनकी धार्मिक आस्था मूलरूप से बुद्धिवाद पर ही थी। हेमचन्द्र यद्यपि बुद्धिवादी प्रकाण्ड पण्डित थे फिर भी अलौकिक शक्ति पर उनका विश्वास था और वे अलौकिक शक्तियुक्त स्वयं भी थे। उन्होंने अपने आश्रयदाता कुमारपाल की बीमारी अपनी मंत्र-शक्ति से दूर की थी। वृद्धावस्था में लूता रोग हो जाने पर अष्टांगयोगाभ्यास द्वारा लीला के साथ उन्होंने उस रोग को नष्ट कर दिया था' । 'प्रभावकचरित' (५-११५-१२७) में जोणिपाहुड़ (योनिप्राभृत) के बल से मछली और सिंह उत्पन्न करने की तथा 'विशेषावश्यकभाष्य' (गाथा १७७५) की हेमचन्द्र-सूरि कृत टीका में अनेक विजातीय द्रव्यों के संयोग से सर्प, सिंह आदि प्राणि और मणि, सुवर्ण आदि अचेतन पदार्थो के पैदा करने का उल्लेख मिलता है । आज भी पाटन में उनकी अलौकिक शक्तियों के सम्बन्ध में नानाप्रकार की किंबदन्तियाँ प्रसिद्ध हैं। वैसे भी ३॥ करोड़ पंक्तियों के विराट साहित्य का एक व्यक्ति के द्वारा सृजन करना स्वयं में असाधारण बात है। आचार्य हेमचन्द्र अपने भव्य व्यक्तित्व के रूप में एक जीवित विश्वविद्यालय अथवा मुर्तिमान ज्ञानकोष थे। उन्होंने ज्ञानकोष के समकक्ष विशाल ग्रन्थ सङ्ग्रह का भी भावी पीढ़ी के लिये सृजन किया था
प्रो० पारीख इन्हें 'Intellectual giant' कहा है। वे सचमुच 'लक्षणा' साहित्य तथा तर्क' अर्थात व्याकरण, साहित्य तथा दर्शन के असाधारण आचार्य थे। वे सुवर्णाभ कान्ति के तेजस्वी, आकर्षक, व्यक्तित्व को धारण करने वाले महापुरुष थे । वे तपोनिष्ठ थे, शास्त्रवेत्ता थे तथा कवि थे । व्यसनों को छुड़ाने में वे प्रभावकारी सुधारक भी थे । उन्होंने जयसिंह और कुमारपाल की
१-प्रबन्धचिन्तामणि-हेमप्रबन्ध