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________________ जीवन-वृत्त तथा रचनाएँ तर्क-शास्त्र के प्रौढ़ अध्यापक जैनाचार्य शान्तिसूरि, जिनकी पाठशाला में बौद्ध तर्क में से उत्पन्न और समझने में कठिन प्रमेयों की शिक्षा दी जाती थी और इस तर्कशाला के समर्थ छात्र मुनिचन्द्रसूरि इत्यादि पण्डित प्रख्यात थे। नवाङ्गी टीकाकार अभयदेवसूरि तथा बिल्हण ने कर्णदेव के राज्य में पाटन को सुशोभित किया था। इस प्रकार सभी दृष्टियों से सम्पन्न समय में, अनुकूल युग में आचार्य हेमचन्द्र अवतरित हुए। ___ संस्कृत कवियों का जीवन चरित्र लिखना एक कठिन समस्या है । इन कवियों ने अपने विषय में कुछ भी नहीं लिखा है । जिन्होंने लिखा भी है, वह अत्यल्प है । सौभाग्य की बात है कि आचार्य हेमचन्द्र के विषय में यत्र-तत्र पर्याप्त तथ्य उपलब्ध होते हैं । आचार्य के जीवन-चरित्र के सम्बन्ध में उनके स्वरचित ग्रन्थों में कुछ संकेत उपलब्ध होते हैं। अपने युग के एक महापुरुष तथा प्रसिद्ध-धर्म प्रचारक होने के नाते समकालीन तथा परवर्ती लेखकों ने भी उनकी जीवनी पर पर्याप्त प्रकाश डाला है । धार्मिक ग्रन्थों में भी उनके विषय में यत्र-तत्र उल्लेख मिलता है। गुजरात के तत्कालीन प्रसिद्ध राजा सिद्धराज जयसिंह एवं कुमारपाल के धर्मोपदेशक होने के कारण भी ऐतिहासिक लेखकों ने आचार्य हेमचन्द्र के जीवन चरित्र पर अपना अभिमत प्रकट किया है। श्री जिनविजय जी के मतानुसार भारत के किसी प्राचीन ऐतिहासिक पुरुष के विषय में जितनी प्रामाणिक ऐतिहासिक सामग्री उपलब्ध होती है उसकी तुलना में हेमचन्द्र विषयक सामग्री विपुलतर कही जा सकती है । फिर भी आचार्य श्री का जीवन चित्रित करने के लिये वह सर्वथा अपूर्ण है । 'कुमारपाल प्रतिबोध' (वि० सं० १२४१) के रचयिता श्री सोमप्रभसूरि तथा 'मोहराज पराजय' के रचयिता यशपाल, आचार्य हेमचन्द्र के लघुवयस्क समकालीन थे । अतः 'मोहराज पराजय' एवं 'कुमारपाल प्रतिबोध' को आचार्य की जीवन-कथा के लिये मुख्य आधार ग्रन्थ तथा दूसरे ग्रन्थों को पूरक मानना चाहिये । (१) अन्तःसाक्ष्य के आधार पर जीवनी के सङ्केत - आचार्य हेमचन्द्र ने अपने स्वरचित ग्रन्थों में कहीं-कहीं कुछ अपने विषय में सङकेत दिया है । अन्त : साक्ष्य के अन्तर्गत मुख्यतया निम्नलिखित प्रन्थ आते हैं १. द्वयाश्रयमहाकाव्य (संस्कृत तथा प्राकृत) १ -प्रस्तावना-प्रमाणमीमांसा -जैन-सिन्धी ग्रन्थमाला ।
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
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