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________________ दार्शनिक एवं धार्मिक ग्रन्थ मुनि जहाँ उपर्युक्त अहिंसादि व्रतों का सर्वात्मना पालन करते हैं वहाँ उस मुनि-धर्म में अनुरक्त गृहस्थ उक्त व्रतों का देशतः ही पालन करते हैं । इस गृहि धर्म की प्ररूपणा करते हुए हेमचन्द्राचार्य ने प्रथमतः दस श्लोकों में ( ४७५७) यह बतलाया है कि कैसा गृहस्थ उस गृहि धर्म परिपालन के योग्य होता है । तत्पश्चात् पाँच अणुव्रतादि स्वरूप गृहस्थ के १२ व्रतों को सम्यक्त्व मूलक बतलाकर यहाँ उस सम्यक्त्व व उसके विषयभूत दैव, गुरु, धर्म, का भी वर्णन करते हुए द्वादश व्रतों का विस्तार के साथ विवेचन किया गया है । प्रथम प्रकाश के अन्त में आदर्श गृहस्थ का वर्णन अनुकरणीय है । इस प्रकार आदर्श गृहस्थ बनने के लिए द्वितीय प्रकाश का आरम्भ व्रतनिर्देशों से होता है । गृहस्थों के लिए निर्देशित व्रतों के अन्तर्गत ५ अणुव्रत, ३ गुणव्रत तथा ४ शिक्षाव्रत आते हैं । इन्हीं को सम्मिलित रूप से द्वादश-व्रत भी कहते हैं । पूर्व निर्देशित पञ्च महाव्रत ही पाँच अणुव्रत हैं तथा द्वितीय प्रकाश इन्हीं व्रतों का वर्णन किया गया है । १५३ तृतीय प्रकाश में तीन गुणव्रतों का वर्णन हैं। इसके अन्तर्गत मदिरा दोष, माँस दोष, नवनीत भक्षण दोष, मधु दोष, उदुम्बर भक्षण दोष, रात्रि भोजन दोष आदि का वर्णन हैं । तत्पश्चात् चार शिक्षाव्रतों का वर्णन है । इसके बाद महाश्रावक की दिनचर्या का सुन्दर वर्णन किया गया है । ब्राह्म मुहूर्त में जाग्रत होकर रात्रि में शयनपर्यन्त सम्पूर्ण कार्यक्रम को यथाविधि सम्पन्न करते हुए मोक्ष का आनन्द प्राप्त करने की सदैव इच्छा करनी चाहिये । चतुर्थ प्रकाश में इन्द्रियजय, कषायजय, मनः शुद्धि और राग-द्वेष जय की विधि का विवेचन करते हुए समान भाव को उद्दीप्त करने वाली १२ भावनाओं १- द्वादशव्रतः अणुव्रत, ५- १ अहिंसा, २ सत्य, ३ अस्तेय, ४ अपरिग्रह, ५ ब्रह्मचर्य गुणव्रत ३- १ दिग्विरतिः २, भोगोपभोगमान, ३ अनर्थदण्डविरमण शिक्षाव्रत ४- १ सामायिक, २ देशावकाशिक, ३ पोषध, ४ अतिथिसंविभाग । इन व्रतों की मान्यता के सम्बन्ध में दो मत प्रचलित हैं । प्रथम मत में 'देशाकाशिक व्रत' की गणना गुणव्रतों में की गयी है और द्वितीय में शिक्षाव्रतों में । प्रथम मत ' भोगोपभोगपरिमाण' को शिक्षाव्रतों में परिगणित करता है और द्वितीय गुणव्रतों में ।
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
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