________________
१२६
आचार्य हेमचन्द्र
को या इनके समान अन्य शब्दों को जोड़ देने से पतिवाचक शब्द बन जाते हैं । गौरी के पर्यायवाची शब्द बनाने के लिए शिव शब्द में उक्त शब्द जोड़ने पर शिवकान्ता, शिवप्रियतमा, शिववधू, शिव प्रणयिनी, आदि शब्द बनते हैं। विभा का समानार्थक परिग्रह भी है । किन्तु जिस प्रकार शिवकान्ता शब्द ग्रहण किया जाता है उस प्रकार शिव परिग्रह नहीं। अतः कवि-सम्प्रदाय में यह शब्द ग्रहण नहीं किया गया है । कलत्रवाची गौरी शब्द में वर, रमण, शब्द जोड़ने से गौरीवर, गौरीरमण, गौरीश आदि शिववाचक शब्द बनते हैं। जिस प्रकार गौरीवर, शिववाचक है, उसी प्रकार गंगावर नहीं यद्यपि कान्तावाची गंगा शब्द में वर शब्द जोड़कर पतिवाचक शब्द बन जाते हैं, तो भी कवि-सम्प्रदाय में इस शब्द की प्रसिद्धि नहीं हाने से यह शिव के अर्थ में ग्राह्य नहीं है। अतएव शिव के पर्याय कपाली के समानार्थक कपालपाल, कपालधन. कपालभक, कपालपति. जैसे अप्रयुक्त अमान्य शब्दों के ग्रहण से भी रक्षा हो जाती है। इससे हेमचन्द्र की नयी सूझबूझ का भी पता चल जाता है । व्याकरण द्वारा शब्द-सिद्धि सम्भव होने पर भी कवियों की मान्यता के विपरीत होने से उक्त शब्दों को कपाली के स्थान पर ग्रहण नहीं किया जाता।
तीसरी विशेषता यह है कि सांस्कृतिक दृष्टि से हेमचन्द्र के कोशों की सामग्री महत्वपूर्ण है । प्राचीन भारत में प्रसाधन के कितने प्रकार प्रचलित थे, यह उनके अभिधानचिन्तामणि कोश से भलीभाँति जाना जा सकता है । शरीर को संस्कृत करने को परिकर्म, उबटन लगाने को उत्सादन, कस्तूरी कुङ्कुम का लेप लगाने को अङगराग, चन्दन, अगर, कस्तूरी, कुङ्कुम के मिश्रण को 'चतुः समम्' कर्पूर, अगर, कङ्कोल, कस्तूरी, चन्दन द्रव के मिश्रित लेप को 'यज्ञकर्दम' और संस्कारार्थ लगाये जाने वाले लेप का नाम वति या गात्रानुलेपिनी कहा गया
उसी प्रकार प्राचीन काल में पुष्पमालाएँ भिन्न-भिन्न प्रकार से पहनी जाती थीं । उसके विषय में भी विविध नाम इस कोश में प्राप्त होते हैं । यथाः माल्यम्, मालास्त्रक-मस्तक पर धारण की जाने वाली पुष्पमाला, गर्भक-बालों के बीच में स्थापित पुष्पमाला, प्रभ्रष्टकम्-चोटी में लटकने वाली पुष्पमाला ललामकम्-सामने लटकती हुई पुष्पमाला, वैकक्षम्-छाती पर तिरछी लटकती हुई पुष्पमाला, प्रालम्बम्-कण्ठ से छाती पर सीधी लटकती हुई पुष्पमाला, आपीड़-सिर पर लपेटी हुई माला, अवतंस-कान पर लटकती हुई माला, बाल
१. अभिधान चिन्तामणि- ३।२६६,