SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 136
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२४ आचार्य हेमचन्द्र अपने कोश में सेना का अङगों सहित वर्णन किया है। उक्त वर्णन देखने से प्रतीत होता है कि वे सङग्राम में या तो कभी साथ रहे होंगे या उन्होंने अपनी आँखो से सेना का सूक्ष्म निरीक्षण किया होगा । उस समय प्रचलित सेना-पद्धति पर पूर्ण प्रकाश पड़ता है । इतना ही नहीं महाभारत के समय की अक्षौहिणी पद्धति पर भी प्रकाश पड़ता है । लगभग महाभारत के समय से ही हमारे भारतीय समाज में वर्णसङ्ककर होता आ रहा है । समय-समय की अपरिहार्य परिस्थिति के अनुसार यह अवश्यं - भावी भी था । किन्तु समाज को दुर्बल होने से बचाने के लिए उस प्राचीन काल में भी मनु महाराज ने वर्णसङ्कर की समुचित व्यवस्था दी थी तथा सभी प्रकार के मानवों को नागरिकता का सम्मान प्राप्त था । 'मनुस्मृति' में निर्दिष्ट ८ प्रकार के सम्मत विवाह इसी बात को सिद्ध करते हैं । भारत में जन्मीं सभी सन्तानों को अपनाने का वह महान् सफल प्रयास था । इससे समाज सबल बना रहा; किन्तु कुछ शताब्दियों के अनन्तर जब जन्मजात जातियों का प्राबल्य बढ़ रहा (२) द्रुवयमान (३) पाय्यमान नाम - १. पत्ति: २. सेना ३, सेनामुख ४, गुल्मः ५, वाहिनी ६, पृतना १ कुडव - २ प्रसृती, ४ कुडव - १ प्रस्थ, ४ प्रस्थ - १ आढ़क १६ आढ़क - १ खारी १ अंगुल - ३ यव, २४ अंगुल - १ हस्त, ४ हस्त - १ दण्ड, २००० दण्ड - १ क्रोश, २ क्रोश - १ गव्यति, २ गव्यति; - १ योजन, अश्व ३ ε ह ६ २७ २७ २७ ८१ ८१ ८१ २४३ २४३ २४३ ७२६ ७, चमुः ७२६ ७२६ २१८७ ८, अनीकिनी २१८७ २१८७ ६५६१ ६, अक्षौहिणी २१८७० २१८७० ६५६१० सेना संख्या बोधक चक्र गज १ रथ १ पत्ति ५ १५ ४५ योग १० ३० ६० २७० ८१० १२१५ २४३० ३६४५ ७२६० १०६३५ २१८७० १०९३५० २१८७०० १३५ ४०५ १०, महा- १३२१२४ε०/१३२१२४९०/३६६३७४७०/६६०६२४५०/१३२१२२०० अक्षौहिणी
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy