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________________ हेमचन्द्र के अलङ्कार-ग्रन्थ १०६ की परिभाषा है। अलङकारचूड़ामणि में पञ्च सन्धियों का वर्णन है जो नाटक तथा काव्य दोनों के लिए समान रूप से आवश्यक हैं। उसमें सन्धियों को समझाने के लिए भरत श्लोक उद्धृत किये हैं। 'विवेक' में नाटकों में से उद्धरण उद्धृत हैं। इसमें दण्डिन् के काव्यादर्श का प्रचुर उपयोग किया गया है । (दण्डिन् काव्यादर्श-पृष्ठ ११-३६) । 'अलङकारचूड़ामणि' में अपभ्रश कविता का उदाहरण 'अब्धिमन्थन' काव्य से तथा ग्राम्य कविता का उदाहरण 'भीम' काव्य से दिया है। ये दोनों काव्य अभी अज्ञात हैं । 'हरि प्रबोध' काव्य का विभाजन आश्वासक में किया गया । यह 'हरि प्रबोध' भी अभी तक अनुपलब्ध है । सप्तम तथा अष्टम सूत्र में क्रमशः आख्यायिका और कथा का वर्णन है। बाणभट्ट की तरह हेमचन्द्र भी कथा और आख्यायिका का भेद स्वीकार करते हैं; परन्तु उनकी मान्यता में अन्तर है । बाणभट्ट के मत में कल्पित कहानी कथा है और ऐतिहासिक आधार पर चलने वाली कथा आख्यायिका है; जैसे 'कादम्बरी' और 'हर्ष-चरित' । हेमचन्द्र के अनुसार आख्यायिका वह है जो संस्कृत गद्य में हो, जिसका वृत्त ख्यात हो, नायक स्वयं वक्ता हो और जो उच्छवासों में लिखी गयी हो। कथा किसी भी भाषा में लिखी जा सकती है । उसके लिए गद्य-पद्य का बन्धन नहीं है। इस प्रकार हेमचन्द्र ने बाणभट्ट के गद्य के बन्धन को हटाकर कथा को इतनी व्यापकता दे दी कि उसमें सभी कथाकाव्य समा गये । गद्य-कथा का उदाहरण कादम्बरी है, और पद्य-कथा का 'लीलावई कहा' । अपभ्रंश के 'चरित्र' काव्य भी इसी के अन्तर्गत आते हैं । हेमचन्द्र को 'गद्य' का नियम इसलिये हटाना पड़ा क्योंकि अपभ्रश में गद्य का अभाव था। कथा के सिवाय उन्होंने और भी उपभेद किये हैं । 'अलङ कार चूड़ामणि' में भी पद्यमयी कथा के रूप में लीलावती का उल्लेख है। 'विवेक' में कथा-प्रकारों में ग्रन्थों के जो नाम दिये हैं उनमें से अधिकांश अभी तक अज्ञात हैं, जैसे,-गोविन्द, चेटका, गोरोचन, अनङ गवती, मत्स्यहसित, शूद्रक, इन्दुमती, चित्रलेखा आदि । कथा के उपभेदों में आख्यान, निदर्शन, प्रवल्लिका, मतल्लिका, मणिकुल्या, परिकथा, खण्डकथा, सकलकथा और उपकथा आदि वर्णित हैं। आख्यान प्रबन्ध-काव्य के बीच आने वाला वह भाग है जो गेय और अभिनेय होता है । दूसरे पात्र के बोध के लिए इसका प्रयोग होता है-जैसे नलोपाख्यान । पशु-पक्षियों के माध्यम से अच्छे-बुरे का बोध देने वाली कथा का निदर्शन है-जैसे 'पञ्चतन्त्र' । 'प्रवल्लिका' में एक विषय पर विवाद होता है । भूतभाषा और महाराष्ट्री में लिखी गयी लघुकथा 'मतल्लिका' है । इसमें पुरोहित, अमात्य और
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
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