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________________ अध्याय-४ अलङ्कार ग्रन्थ हेमचन्द्र के अलङ्कार ग्रन्थ - 'काव्यानुशासन' का विवेचन संस्कृत अलङ्कार ग्रन्थों की परम्परा में आचार्य हेमचन्द्र ने 'काव्यानुशासन' ग्रन्थ की रचना की। काव्यानुशासन की प्रामाणिक आवृत्ति 'काव्यमाला सिरीज' में प्रकाशित हुई है। महावीर जैन विद्यालय द्वारा भी सिरीज में 'काव्यानुशासन' प्रकाशित किया गया है, जिसमें डा० रसिकलाल पारीख की प्रस्तावना एवं आर० व्ही० आठवले की व्याख्या है। 'काव्यानुशासन' में राजा कुमारपाल का कहीं भी उल्लेख नहीं है । अतः यह निश्चित् है कि सिद्धराज जयसिंह के जीवनकाल में ही 'शब्दानुशासन' के पश्चात् 'काव्यानुशासन' की रचना हुई । 'काव्यानुशासन' के तीन प्रमुख भाग हैं-१. सूत्र (गद्य में), २, व्याख्या और ३, वृत्ति (सोदाहरण) । काव्यानुशासन में कुल सूत्र २०८ हैं । इन्हीं सूत्रों को 'काव्यानुशासन' कहा जाता है । सूत्रों की व्याख्या करने वाली व्याख्या अल कारचूडामणि नाम प्रचलित है, और इस व्याख्या को अधिक स्पष्ट करने के लिए उदाहरणों के साथ विवेक नामक वृत्ति लिखी गयी। तीनों के कर्ता आचार्य हेमचन्द्र ही हैं। इस प्रकार सूत्र, अलङकारचूडामणि एवं विवेकवृत्ति तीनों ही काव्यानुशासन के विचार क्षेत्र में आते हैं । 'काव्यानुशासन' ८ अध्यायों में विभाजित है। प्रथम अध्याय में २५ सूत्र, द्वितीय अध्याय में ५६, तृतीय में १०,
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
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