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आचार्य हेमचन्द्र
प्राचीन और आधुनिक दोनों ही प्रकार की ध्वनियों की सम्यक विवेचना की गयी है। हेम का प्राकृत शब्दानुशासन व्याकरण होने के साथ-साथ भाषा-विज्ञान भी है।
(७) आधुनिक आर्य-भाषाओं की प्रमुख प्रवृत्तियों का अस्तित्व भी हेम में वर्तमान है। संस्कृत-प्राकृत भाषाओं के व्याकरणों में सर्वाङ्गपूर्णता, वैज्ञानिकता की दृष्टि से हेमचन्द्र का स्थान अद्वितीय है । इनकी सद्भावनायें नवीन और तर्क-सङगत हैं।