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________________ हेमचन्द्र की व्याकरण रचनाएँ १०१ म्परा का निर्माण किया, उसी प्रकार १२ वीं शताब्दी में संस्कृत के अन्तिम महावैयाकरण आचार्य हेमचन्द्र ने संस्कृत व्याकरण परम्परा में हेम सम्प्रदाय बनाया । जिस प्रकार पाणिनि ने अन्तिम अध्याय में वैदिक शब्दों का अनुशासन किया है, उसी प्रकार हेमचन्द्र ने अष्टम् अध्याय में प्राकृत ब्याकरण का निरूपण किया है जो अद्यावधि अपूर्व एवं अद्वितीय है । (२) अपभ्रंश का व्याकरण तो हेमचन्द्र की अपूर्व देन है । संस्कृत का 'क्षण' शब्द अर्थ-द्वयवाची है - समय तथा उत्सव । हेम ने उत्सव वाची क्षण में 'क्ष' के स्थान पर 'छ' का आदेश किया है तथा समयवाची में 'ख' का आदेश किया है। उनका यह अनुशासन उन्हें संस्कृत और प्राकृत दोनों ही भाषाओं के वैयाकरणों में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करता है । (३) हेमचन्द्र ने उदाहरणों के लिए अपभ्रश के प्राचीन दोहों को रखा है। इससे प्राचीन साहित्य की प्रकृति और विशेषताओं का सहज में पता लग जाता है। साथ ही यह भी ज्ञात होता है कि विभिन्न साहित्यिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों के कारण भाषा में किस प्रकार परिवर्तन होते (४) हेमचन्द्र हो सबसे पहले ऐसे वैयाकरण हैं, जिन्होंने अपभ्रंश भाषा के सम्बन्ध में इतना विस्तृत अनुशासन उपस्थित किया है । लक्ष्यों में पूरे-पूरे दोहे दिये जाने से लुप्तप्रायः महत्वपूर्ण साहित्य के उदाहरण सुरक्षित रह सके हैं। भाषा की समस्त नवीन प्रवृत्तियों का नियमन, प्ररूपण, और विवेचन इनके अपभ्रंश व्याकरण में विद्यमान है । हेमचन्द्र ने अपने समय में विभिन्न प्रदेशों में प्रचलित उपभाषा और विभाषाओं का संविधान भी उपस्थित किया है तथा अपभ्रश को अमर बना दिया है। अपभ्रश से ही हिन्दी के परसर्ग, धातुचिह्न, अव्यय, तद्धित, कृत् प्रत्ययों का निर्गमन हुआ है। उन्होंने अपने समय की प्रचलित भाषा को आधार मानकर अकार लोप का वैकल्पिक अनुशासन किया है। उदाहरणार्थ लपोऽख्ये ।१।४ से ज्ञात होता है कि हेम के समय में रणं और अरण्णं ये दोनों प्रयोग होते थे। दधि यत्र भी साधु प्रयोग था। त्रयम्बक की मूल प्रकृति त्रियम्बक है। कानीन की वास्तविक मूल प्रकृति कनीना है, कन्या नहीं। (५) देशज शब्दों का पूरी तरह सङकलन देशी नाममाला में है। (६) आचार्य हेमचन्द्र की कृतियों में शब्द-विज्ञान, प्रकृति-प्रत्यय-विज्ञान वाक्य-विज्ञान आदि सभी भाषा-वैज्ञानिक तत्व उपलब्ध हैं। इनके व्याकरण में
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
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