SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 97
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ आचार्य अमृत चन्द्र : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व चौथा उदाहरण धवला के प्रथम भाग का है। इसके अमरावतो से प्रकाशित तथा सोलापूर से प्रकाशित संस्करणों में गाथा संख्या में भेद है। इसी प्रकार मूलाराधना (भगवती आराधना) की पंडित सदासुखदास की टीका में गाथा ८०८ से ८१२ तक नहीं है जबकि पं. जिनदास पार्श्वनाथ फड़कुले कृत टीका में ये गाथायें हैं। इसमें भी अपराजित सूरि कृत विजयोदया संस्कृत टीका उपलब्ध है, परन्तु माशाधर कृत मूलाराधना में दर्पण टीका नहीं है ।" पुरुषार्थसिद्धयुपाय (मराठी) भाषातर में कुल १६६ श्लोक है १७७-२२६ तक के ३० पद्य छोड़ दिये गए हैं तथा कृष्णाजी नारायणजी जोशी कृत पुरुषार्थसिद्धय पाय टीका में गाथा नं. ७० छोड़ दी गई है। उक्त गाथा में स्वयं पतितमधु खाने का निषेध है । इसके अतिरिक्त २२७ नम्बर की गाथा मिला दी गई है। उक्त २२७वों को गाथा के परीक्षण से ज्ञात होता है कि लिपिकार ने भूल से पुरुषार्थ सिद्भयप्राय के अन्त में "पुरुषार्थसिद्धयपाय नाम जिनप्रवचनरहस्य कोशः समाप्तमिति" इस गद्य वाक्य को पद्य समझकर गाथा क्रमांक दे दिया है। इसी प्रकार ३७० वर्ष प्राचीन कपड़े पर की गई हस्तलिखित प्रतिलिपि में समयसार कलश के १६ पद्य छोड़ दिये गये हैं। जो समयसार कलश में ७१-८६ तक उपलब्ध होते हैं। इसी प्रकार तिलोयपण्णति ग्रन्थ में १३४० गाथायें प्रक्षिप्त हैं तथा मुलनथकर्ता के प्रतिकूल हैं। इसी प्रकार पंचास्तिकाय की १११ वीं १. अमरावती (बरार) से प्रथम संस्करसाई, १६३६ में (सेठ लक्ष्मीचन्द्र शिताबराय जन साहित्योद्धारक फंड अमरावती) प्रकाशित हुअा था। २. जैन संस्कृति संरक्षक संघ सोलापूर द्वारा १६७३ ई., में इसका द्वितीय संस्करण प्रकाशित किया गया । ३. इस संस्करण में पृष्ठ ४०१ पर ४ गाथाएं अधिक हैं, जो प्रश्रम संस्करण में नहीं हैं। ४. भगवती प्राराधना, पृष्ठ ३३० फूटनोट ५. पुरुषार्थसिद्धयुपाय (मराठी) कृष्णाजी नारायण जोशी कृत १८६७ ई. ६. समयसार कलश की हस्तलिखित कपष्टे पर अंकित प्रति वि. सं. १६६८ दिगम्बर जैन तेरह पंथी मन्दिर जयपुर में उपलब्ध । ७. जैन साहित्य और इतिहास, द्वितीय संस्करण, पृष्ठ ११
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy