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________________ ६४ ] । आचार्य अमृतचन्द्र : व्यक्तित्व एवं कर्तुत्व गाथा हासिए पर नोट कर देते हैं और लिपिकार प्रमाद या अज्ञानवश उन्हें भी मूल भाग में शामिल कर लेते हैं। जयसेनाचार्य के समक्ष ऐसी ही प्रति रही होगी।' इसीलिए केवल एक ही टीका में गाथा भेद नहीं है अपितु तीनों टीकाओं में गाथाभेद मिलता है ।२ पाँचवे जयसेनीय टोकाओं में जो अतिरिक्त गाथाएँ हैं उनमें अधिकांश तो ऐसी हैं जिनके ग्रन्थ में होने या न होने से मूल विषय में कोई व्यवधान नहीं आता है। प्रवचनसार की ही ३६ अतिरिक्त गाथाओं का अनुशीलन करने पर ज्ञात होता है कि इनमें अधिकांश गाथाएँ नमस्कारात्मक हैं। शेष गाथाएँ संबंधित विषय के विशेष स्पष्टीकरण हेतु हैं। इसी तरह पंचास्तिकाय की जयरोनीय टीका में ८ गाथाएं अधिक हैं। इनमें ७ गाथायें मति, श्रत, अवधि, मनःपर्यय तथा केवलज्ञान और अज्ञान के स्वरूप की प्रकाशक है' तथा एक गाथा ६ प्रकार के स्कंधों की सूचक है ।६ समयसार की जयसेनीय टीका में २२ माथा अधिक हैं जिनमें कुछ गाथाएँ अत्रासंगिक है, कुछ पुनरावृत्त हैं तथा कुछ विशेष स्पष्टीकरण हेतु हैं। इस प्रकार गाथाभेद पर सूक्ष्मावलोकन करने पर अमृतचन्द्र के काष्ठासंघी सिद्ध होने के कोई प्रमाण या संकेत उपलब्ध नहीं होते। छठवें, गाथाभेद केवल अमृतचन्द्र एवं जयसेन कृत टीकाओं में ही नहीं है अपितु अन्य टीकाओं में १. सन्मतिमंदेश. मात्र ८०, पृष्ठ १८, लेख-. वंशीधर शास्त्री, एम. ए. २. प्रवचनमार, पंत्रास्निाय तथा समयसार पर अमतचन्द्र ने क्रमशः २७५, १७३ तथा ४२५ गाथानों पर टीका लिखी है, जबकि जयसन ने क्रमशः ३११, ११ तथा ४३७ पर। टीप-समयप्राभृतं, सम्पादक पं. गजाधरलाल, में ४४५ गाथाएँ है जबकि समयसार सम्पादक-मुनि जानसागर, अंग्रेजी संस्कररा-जे. एन, जनी व मेच्युमके (१९५०) ४३७ गाथाएँ हैं। ३. इसमें १० गाथाएँ नमस्कारात्मक हैं जो क्रमशः गा. १६. ५२. ६५, ६८ वी, ७६, ६ . २, ६२, ६२ व, २०० ४. शेष २६ गाथाएँ प्रतिज्ञावाक्य, अस्तिकाय, बन्धनियम, ईयारामिति, परिग्रह निषेध, स्त्रीमुकलंजन, ग्रमाद के कारण, मांसदोष, पाहार, संयम तथा अनु वाम्मा विषयक म्पष्टीकरणार्थ हैं। ५. वे ७ गाथाएँ क्रमशः ८१ गा के बाद की ६ तथा १०६ गा क बाद की एक गाथा है। ६. स्वधपभेद सूचक गाथा १०६ गा के बाद की है। ७, समयसार, पं. वलभद्र प्र., पृष्ठ 5
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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