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________________ ६० } [ श्राचार्य अमृतचन्द्र व्यक्तित्व एव तु त्व २ अमृतचन्द्र यह नाम "चन्द्र" पदांत होने से अमृतचन्द्र चन्द्रवंशी ठाकुर होना चाहिये, परन्तु यह अनुमान ही प्रतीत होता है क्योंकि इसका कोई ठोस आधार नहीं है। फिर भी आचार्य अमृतचन्द्र का ठाकुरवंशी या कुलीनवंशी होना तो प्रमाणित हो ही जाता है । द्रविड़ संघ तथा अमृतचन्द्र आचार्य प्रभूतचन्द्र तथा शंकराचार्य समकालीन थे। शंकराचार्य अमृतचन्द्राचार्य के "आत्ख्याति" में वर्णित विचारों से प्रभावित थे। आत्मख्याति टीका तथा शंकर का शारीरिक भाष्य बहुत कुछ समान है तथा शंकर एक अवसर पर अपने को एक द्रविड़ श्राचार्य द्वारा प्रभावित कहते हैं, इसलिए प्रोफेसर ए. चक्रवर्ती ने प्राचार्य श्रमृतचन्द्र को द्रविड़ संधी अनुमानित किया है । उक्त अनुमान के भी कोई भी आधार उपलब्ध न होने से आचार्य अमृतचन्द्र को द्रविड़संघी भी नहीं माना जा सकता । द्रविसंघ की मान्यताएं भी मूलसंघ से विपरीत हैं । उनका पोषण अमृतचन्द्र के साहित्य में कहीं भो नहीं मिलता अतः वे द्रविड़संघी सिद्ध नहीं होते । पुत्रासंघ तथा अमृतचन्द्र सुल्तानपुर ( पश्चिमखानदेश-महाराष्ट्र) के एक मूर्तिलेख में अमृतचन्द्र के शिष्य विजयकीर्ति का नाम पुन्नागुरुकुल के अंतर्गत उल्लिखित है। उक्त लेख ११५४ सन् का है । उक्त पुनाट संघ बाद में काष्ठासंघ में परिवर्तित हुआ तथा इसका नाम लाडवागड़ गच्छ हो गया। उक्त उल्लेख से अमृतचन्द्र के पुन्नाटसंघी होने संभावना व्यक्त की जा सकती हैं परन्तु उक्त विजयकीर्ति के गुरु अमृतचन्द्र प्रकृत अमृतचन्द्र नहीं है। उन्होंने स्वयं भी अपने किसी शिष्य का कहीं भी उल्लेख नहीं किया । उनके पश्चावर्ती लेखकों ने भी उक्त प्रकार का १. आचार्य कुन्दकुन्द और उनका समयसार पृष्ठ ३२४ २. सभवसार (अंग्रेजी प्रस्तावना, पृष्ठ १६०-१६१. प्रकाशक, भारतीय ज्ञान - पीठ, बनारस, १६५० २. खड़े खड़े भोजन विधि का निषेधक, कोई वस्तुप्रामुक नहीं, मुनिजन खेतीरोजगार करावें, वसतिका बनवावें, श्रप्रागुक जलस्नान करें, प्रतिमाएँ वस्त्राभुषणसहित होती है इत्यादि द्रविड़ मंत्र की विपरीत मान्यताएँ हैं । जनेन्द्र सिद्धान्त कोश भाग-१, पृष्ठ ३४२-२४३ ४. जैन शिलालेख संग्रह, भाग-५, डॉ० विद्याधर जोहरापुरकर, पृष्ठ ४६, लेख क्रमांक
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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