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________________ जीवन परिचय ] [ ५५ एच. डी. बेलकर ने पीटर्सन रिपोर्ट के पृष्ठ १६१ पर उन्हें “अमयं चन्देणसूरी हिं"१ शब्द का प्रयोग किया है जो अमृतचन्द्रसूरि का ही द्योतक है। मराठी टीकाकार श्रीकृष्णाजी नारायण जोगी ने अमृतचन्द्र को 'पीयूषचन्द्रसूरि' लिखा है। वर्तमान मुनि सूर्यसागर ने उन्हें "मुनिवृषभ अमृतन्द्राचार्य" नाम से स्मरण किया है। पं. पन्नालाल साहित्याचार्य ने उन्हें 'अमृतेन्दु"४ तथा पं. फूलचन्द सिद्धान्ताचार्य ने ''श्रीमदाचार्यवर अमृतचन्द्रदेव"५ नाम से उल्लेख किया है । पं. मक्खनलाल शास्त्री ने प्रकृत आचार्य को "श्रीमन्महामहिम अमृतचन्द्रसूरिवयं" लिखकर अपनी आस्था ब्यक्त की है तथा उनकी कृति पुरुषार्थ सिद्धाय की वृहद् हिन्दी टीका लिखी है ।' पं. के. भुजवलि शास्त्री ने अमृत नन्द्र को "अमृतनन्दि" नाम से भी उल्लिखित किया है। इस प्रकार स्पष्ट है कि उपर्युक्त समस्त नामों से प्रकृत आचार्य का नाम अमृतचन्द्र ही अभिव्यक्त होता है जो सूरि विशेषण से विशेषतः दि..रहे है . विभिनाया था लेखकों ने श्रीमदमृतचन्द्रमूरि, उक्कुरअमृत चन्द्रसूरि, सुंधाचन्द्रमुनि, अमृतबिधुयतीश, अमृतचन्द्र मुनिराज, सुधाचन्द्रसरि, अमीइन्द्र, अमयंचन्द्रसरि, पीयुषचन्द्रसरि. अमृतेन्दु, श्रीमदाचार्यवर, अमृतचन्द्रदेव, अमृतनंदि इत्यादि नामों द्वारा प्रकृत अमृतचन्द्र को ही याद किया है । इन नामों श्रीमद्, सूरि, ठकुर, मुनि, यतीशमुनीन्द्र, मुनिराज, प्राचार्थवर, देव आदि शब्द अमृतचन्द्र के व्यक्तित्व के द्योतक हैं । इन में सुधा, अमी, अमयं तथा पीयूष ये सभी शब्द "अमृत" पद के १. जि. र. को, एच. डी. वेलंकर २. पुरुषार्थ सिद्धयुपाय, अंतिम पद्य २२७, श्री कृष्णाजी भारायण जोशी कृत मराठी टीका । ३. निजान दमार्तण्ड, हिन्दी भाषा टोका, पृष्ठ ५ प्रस्तावना । ४. तत्त्वार्थसार, अंतिमप्रशस्ति, पं. पन्नालाल कृत । ५. नमवसार कलश मुखपष्ट पं. फूलचन्द्र शास्त्री) ६. पुरुषार्थ सिद्धयुपाय, पं. मक्खनलाल मुखपृष्ठ. । ५. कन्नडपत्रीय ताडात्रीय वध सूची, के भुजवलि शास्त्री, प्रस्तावना पुष्ठ १५ प्रथम मरकरण १९४८. (इसमें सथ मं. ५.३५ पबयणसार प्राचार्य कोण्डकून्द तथा प्राचार्य अमृत विकृत तत्वदीपिका नामक संस्कृतवृत्ति भी है ।) ये अमृतनंदि प्राचार्य अमृतचन्द्र ही हैं ।
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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