SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 73
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४२ ] [ आचार्य अमृतचन्द्र व्यक्तित्व एवं कर्तृत्त्व के आधार पर हुआ है। उससे पहले के किसी भी ग्रंथ में उन भेद-प्रभेदों का कथन नहीं मिलता। जिनमें मिलता हैं वे सभी आलापद्धति के बाद के है। इस प्रकार अमृतचन्द्र देवसेन के पूर्ववर्ती होने से, विक्रम की दसव सदी के पूर्वार्ध के लगभग समय के सिद्ध होते है ।" जैन सिद्धांतभास्कर ( दी जैन एन्टीक्वेरी ) पत्रिका के एक उल्लेख में नेमिचन्द्र सिद्धांतचक्रवर्ती तथा आचार्य श्रमृतचन्द्र को विक्रम की दसवीं सदी का ही घोषित किया गया है। डा. ए. एन. उपाध्ये ने भी अमृतचन्द्र कोदसवीं ईसा शताब्दो का स्वीकारा है । 3 डा. उपाध्ये के उक्त समय का समर्थन डा. मोहन लाल मेहता तथा फोफेसर हीरालाल र कापड़िया ने भी किया है। * सुप्रसिद्ध विद्वान स्वर्गीय पं. नाथूराम प्रेमी ने पुरुषार्थ सिद्धयुपाय की प्रस्तावना में आचार्य अमृतचन्द्र के समय के संबंध में स्पष्ट लिखा है कि आचार्य पट्टावलियों तथा पाश्चात्य विद्वानों की रिपोर्ट देखने से ज्ञात होता है कि पुरुषार्थसिद्धयुपाय के कर्ता अमृतचन्द्रसूरि विक्रम संवत् १६२ में जीवित थे । पं. नाथूराम प्रेमी के उपर्युक्त अभिमत का समर्थन स्व. पं. जुगल किशोर मुख्तार, स्व. पं. मिलापचन्द्र कटारिया, स्व. डा. हीरालाल पं. मुन्नालाल राधेलीय, पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, डा. पं. पन्नालाल साहित्याचार्य आदि ने भी किया है। साथ ही पट्टावलि में उपलब्ध अमृतचन्द्र के पट्टारोहण का समय विक्रम सं. ९६२ उचित ठहराया है। १. जैन साहित्य का इतिहास, भाग २, पृष्ठ १८५ २. जैन सिद्धांत भास्कर, (The jain antiquiry ) भाग ३, किरण २, पृष्ठ ४४ (वि. सं. १६९३ / सितम्बर, १६३६) ३. प्रवचनसार प्रस्तावना ( अंग्रेजी), पृष्ठ ६६. संस्करण तृतीय । ४. जैन साहित्य का वृहइतिहास, भाग ४, ५, १५० डा. मेहता तथा प्रो. कापड़िया । प्रकाशकन्पार्श्वनाथविद्याश्रम, शोच संस्थान, बनारस-५ सन् १९६८ ५. Peterson's Report XLIX -A Vol. No 18 Royal Asiatic Society, Bombay. ६. पुरुषार्थ सिद्धयुपाय प्रस्तावना, पृष्ठ ४ पं. नाथूराम प्रेमी, प्रकाशक रामचन्द्र जं. शा. १. बी. नि. सं. २४३१, दि. २५-१२-१६०४ ७. भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, पृष्ठ ८४ प. पु० सि० पद्यानुवाद एवं भावप्रकाशिनी भाषा टीका, पृष्ठ १० ६. तत्वार्थसार, प्राक्कथन, दृष्ट ७
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy