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________________ पूर्व साहित्यिक परिस्थितियां 1 । २३ (आदिनाथ) स्तोत्र के कर्ता आचार्य मानतुङ्ग (ई० १०२१-१०५५), कल्याणमन्दिर स्तोत्रकार कुमुदचन्द्राचार्य, विषापहारस्तोत्रकार महाकवि घनंजय, जिनचतुर्विशन्तिका के रचियता महाकवि भूपाल आदि मुख्य हैं। इन सभी रचनाओं में प्राचार्य अमृतचन्द्र की रचना "लघुतत्त्वस्फोट" एक अत्यन्त प्रौढ़, चमत्कारी-पालकारिक सस्कृतपद्यों में उपलब्ध हुई है।' इस कृति में अमृतचन्द्र की असाधारण काव्यप्रतिभा द्वारा जैनदर्शन, अध्यात्म एवं भक्तिरूप त्रिधारागों ने एकमेक होकर विशाल साहित्यिक सरिता का रूप धारण किया है। वस्तुतः सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान तथा सम्यक्चारित्र के वित्व की एक त्वरूप प्रात्मज्योति की जगमगाहट प्राचार्य अमृतचन्द्र को साहित्यिक कृतियों में प्रस्फुटित है। उनके काल में जहां अन्यमतों में कहीं पर तर्क, न्याय तथा आत्मानुभूति की उत्थापना होकर रहस्यमयी ब्रह्म की घोषणाएं हो रही थी, कहीं पर खोटी युक्तियों तथा अनुचित साधनों द्वारा सारहीन तथ्यों की घोषणाएं एवं विजिगीषा को पूर्ण किया जा रहा था, वहीं पर आचार्य अमृतचन्द्र भी अपनी कृतियों एवं टीकाओं में डंके की चोट, निर्भीक घोषणाओं द्वारा स्याद्वादन्याय, प्रात्मानुभूति, निर्दोष युक्ति एवं पूर्वाचार्य परम्परा की स्थापना करने को कटिवद्ध थे । इस सम्बन्ध में आचार्य अमृतचन्द्र की आत्मख्याति टीका का निम्न अंश प्रकट प्रमाण है । वे लिखते हैं :-"स्यात् पद मुद्रांकित शब्दब्रह्म ( जिनवाणो ) की उपासना द्वारा प्रगट निज आत्मानुभूति से, अत्यंत निर्दोषयुक्ति के प्रवलम्बन से, पर-अप रगुरु ( अर्थात् जिनेन्द्रदेव तथा गणधर आदि ) से लेकर हमारे गुरुपर्यन्त उपदेश के अनुसरण से तथा निरन्तर झरते हुए निजवैभव १. आचार्य अमृतचंद कृत, लघुतत्त्वस्वफोट या शक्तिमरिणत् कोश नामक एक श्रेष्ठ दिगम्बर कृति अद्यावधि जनसमाज में अज्ञात थी। सद्भाग्य में इस ग्रन्थ की मात्र ताडात्रीय कृति अहमदाबाद के श्वेताम्बर जैन मंदिर के डेला भण्डार में आगमोद्धारक श्वेताम्बर मुनिराज श्री पुग्यविजय जी को उपलब्ध हुई । उन्होंने बड़ी उदारता के साथ उक्त प्रति की प्रसिद्धि की तथा उनकी कापा कराकर सम्पादनार्थ डॉ० पदमनाथ श्रावर्माजी जैना, यूनिवर्सिटी प्रॉफ कैलीफोतिया यु.एस.ए. के पास भेजी। जिसका प्राग्लभाषा में भानुवाद सम्पादन होकर लालभाई दलपत्र भाई विद्यामन्दिर अमदाबाद से मार्च १९७८ में प्रथम वार प्रकाशन किया गया।
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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