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________________ ५०६ । [ प्रापा अमृतचन्द्र : रवि एवं का का निषेध करती हुई समाप्त होती हैं। टीकानों के अंत में उन्होंने स्वयं अपने को 'स्वरूप गुप्त अमृतचन्द्र" घोषित किया है. ग्रन्थकर्ता अमृत चन्द्र नहीं। पांचवे - प्रत्येक रचना के प्रारम्भ में ही ग्रन्थ रचना का उद्देश्य, प्रतिपाद्य वस्तु तथा फल स्पष्ट घोषित किया गया है। प्रतिपाद्य वस्तु की सिद्धि में याप्त, आगम, अनुमान और आत्मानुभव का आधार लिया गया है। तत्व निरूपण में युक्तियों, तको तथा दृष्टांतों को प्रस्तुत किया गया है। छठवें - उनत्री वातियां प्रालंकारिक, प्रौट, अर्थ-प्रगम्भा. किष्ट तथा विद्यमान-मनहानी संस्कृत भाषा में निर्मित है। उन्होंने सभी कृतियों में स्वानुभव की मती ग्नध्यात्म रसिकता की छाप छोड़ी है । साथ ही किसी भी कृति में उन्होंने अपन कुल, गुरु, शिष्य तथा स्थानादि का थोड़ा भी संकेत नहीं किया है जो उनकी परम निस्पृहता का श्रेष्ठ प्रमाण है। सातवें - उनकी कृतियां उनके युग को सामाजिक, धार्मिक, साहित्यिक तथा राजनीतिक परिस्थितियों की झलक भी प्रस्तुत करती हैं। हिंसा, अहिंसा अादि सिद्धांतों का विशद् स्पष्टीकरण इसका प्रमाण है। भाट - उत्थानिका या भाव सूचना पूर्वक टीका लिखने की गली का सूत्रपात मी उन्होंने किया है. जिसका अनुकरण पश्चाद्वर्ती अनेक टोकाकारों ने किया है। संस्कृत गद्यकाव्य. गद्यकाव्य तथा मिथकाव्य के प्रणमन में पं सिद्धहस्त एवं लन्ध प्रतिष्ठ। विस्तृत भाग्योक्त भावों को साररूप में इलोक रूप कलश में भरने की उनमें प्रपूर्व क्षमता थी। तबमें – समयसार की प्रात्मख्याति टीका के अंत में स्यावाद एवं उपाय-जय अधिकार रचकर अद्वितीय कार्य किया है। उक्त अधिकार प्रात्मख्याति टीका का एसा बंशिष्ट्य है जो अन्यत्र सुलभ नहीं है। इसी अधिकार की समाप्ति पर सतालीम आत्मशक्तियों का स्वरूप दर्शन भी जैन अध्यात्म साहित्य में जोड़ है। इसी प्रकार प्रवचनसार नी तत्त्वप्रदीपिका टीका के अन्त में संतालीस नयों का सरल, स्पष्ट एवं सोदाहरण वर्णन वा तव में अर्णनीय है। पंचास्तिकाय की समय व्याख्या टीका के अन्त में निश्चया भाभी, व्यवहाराभासी का स्वरूप तथा सम्यग्दृष्टि के यथार्थ श्रद्धान, ज्ञान, व याचरण का स्पष्टीकरण जैन अध्यात्म
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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