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________________ ४७० । । प्राचार्य अमृतचन्द्र : व्यक्तिस्व एवं कर्तृत्व से ४७ शक्तियों का :पष्ट विवेचन किया है। प्रवचनसार की तस्वीपिका व्याख्या के अंत में नयात्मक कथनों द्वारा, ४७ नयों के ग्राश्रय से प्रात्मा की अनेकान्तात्मकना पदर्शित की है। पंचास्तिकाय की समयव्याख्या टीका के अंत में निश्चय तथा व्यवहार के एकांत का निराकरण एवं सम्यक मार्ग का प्रकाशन क्रिया है। पुरुषार्थसियुपाय मौलिक कृति के अंत में दही मथन गाली गोपिका , माहार लिखा कि जिस प्रकार गोपिका मथाजी की रस्सी के एक छोर को खींचनी है तथा दूसरे छोर को शिथिल करती है तथा अल में सारतःच न नो प्राप्त करती है, उसी प्रकार एक नय (द्रव्याथिक) को मुख्य करके, दूसरे ना पर्यायाधिक) को गौण करके वस्तुस्वरूप की प्राप्ति कराने वाली जननीन शादाद-प्रततः जयवन्त होती है । इस प्रकार स्यात्कार लक्ष्मी के निवास के वशीभत रहने वाले नय समझों से देखने पर भी और प्रमाणष्टि से देखने पर भी स्पष्ट अनंता वा निज पान का अतरंग में शुद्ध विमात्र ही दखते हैं। निमित्त - उपादान आत्महितैषी को जिस प्रकार निश्चय-व्यवहार तथा अनेकांत म्यादाद समझना जरूरी है, उन्हें समझे बिना उसे बस्तुस्वरूप का यथार्थ परिज्ञान नहीं हो सकता । उसी प्रकार उसे निमित्त-उपादन को भी समझना अत्यावश्यक है, उन्हें समझे विना पराश्रित (अथवा निमित्ताधीन दृष्टि का परित्याग नहीं हो सकता तथा स्वाश्रित (अथवा उपादानाधीन) दृष्टि प्रकट नहीं हो सकती। स्वाथित दृष्टि बने बिना स्वाधीन मोक्ष सुख की प्राप्ति तो दूर ही रहो. निज शुद्धात्म स्वरूप का दर्शन अथवा सम्यग्दर्शन की भी प्राप्ति नहीं हो सकती । सम्यग्दर्शन की प्राप्ति बिना मोक्षमार्ग की शुरुवात भी नहीं हो सकती और सम्यग्ज्ञान तथा सम्य चारित्र को स्थिति वृद्धि तथा फल प्राप्ति होना - - १. केरकर्वयन्तो पलथयन्ती यस्तु तत्वमिनरंग । अन्तेन गाति जैनी नीतिमंन्यानने अमिवगोगी ।। २२५ पृ. सि. | स्याकार श्रीवा गवस्यनयोधेः, पशान्तोत्थं चेन् प्रमाणे त्रापि । पश्यन्त्येव प्रस्फुटागन्तवमल्वात्मद्रध्यं शुद्धनि मात्रमन्नः ।।१६ ।। -प्रवचनसार तत्वदीपिका।
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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