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________________ कृतियां ] [ ४१६ वर्तमान तथा भविष्य-तीनोंकाल में कर्म के बंध को अपन आश्मा से शीध्र भित करके तथा कमोदय के निमित्त से होने वाले मोह (अज्ञान) को अपने पुरुषार्थ से (बल से) हटाकर अंतरंग में अभ्यास कर देखें तो यह आत्मा अपने अनुभव से ही प्रात्मानुभवगोचर जिसकी एकमात्र महिमा है ऐसा निश्चल, शाश्वत, नित्य, कर्मकलंक कर्दम से रहित स्वयं स्तुति करने योग्य देव को विराजपान पायेगा। उक्त अर्थवाची शार्दूलविक्रीडित छंद मलतः इस प्रकार है : भूतं भांतमभूतमेव रभासानिभिद्य बन्ध सुधी - यंद्यन्तः किल कोऽप्यहाँ कलयति व्याहत्य मोहं हठात् । आत्मात्मानुभवकगम्यहिमा व्यक्तो यमास्ते ध्रुवं, नित्यं कर्मकलंकपकविकलो देवः स्वयं बाश्वत ।' उक्त छंद में अनुप्रास अलंकार सौन्दर्य, आत्म-पुरुषार्थ, प्रोजगुण तथा मात्मानुभति का रस युगपत् प्रतीयमान है। इसी प्रकार प्रभावातिशय तथा प्रोजपूर्ण स्वरूप कथन हेतु भो शार्दूलविक्रीडित छंद का चमत्कारी प्रयोग अनेक स्थलों पर हुआ है। ज्ञानरूप नायक के उत्कर्ष, प्रभावाविश्य तथा पराक्रम को व्यक्त करने हेतु भी इसो छंद को भावाभिव्यक्ति का वाह्न बनाया गया है। एक स्थल पर जिरेन्द्र देव के ग्रनंतवीर्य के उत्कृष्ट न्यापार से विकारी भावों का नाश तथा अनंतवीर्य की महिमा का प्रोजपूर्ण शब्दों में, अनुप्रास अलंकार के सरस सौन्दर्य के साथ वर्णन करते हुए वे लिखते हैं कि हे भगवन् अत्यधिकता के साथ अनंतवीर्य के उत्कृष्ट व्यापार से विस्तारित, बहुत भारी बड़ी बड़ी तरंगों से परिपुष्ट यापकी दृष्टियों के समह क्रीडा करते रहते हैं। हमारी कांति की उत्कृष्ट रूप से खींची हई, ममरूप महिमा के विस्तार पर आक्रमण कर, विविध विकारी भावों की ये पंक्तियाँ यथार्थ में प्राण त्याग करती हैं। उनका मूल पद्य इस प्रकार है - उद्दामोद्यदन्तवीर्यपरमव्यापार विस्तारित - फारस्फारमहोभिमांसलदृशां चक्रे तव क्रीडति । १. समयसारमलश क्र. १२. उदाहरण स्वरूप समयसार रलश क्रमांक २४, ४८, ९ तथा ३६, १४ विशेष रूप से हटव्य हैं। कलश १७८ इसका श्रेष्ठ उदाहरण है। देखिये, समयसार अलग, पद्य क्र. ३३, १२५, १३३, १५४ तथा १६३. ३.
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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