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________________ कृतियाँ ] i ४०१ इन्द्रियसुखों को दुःख रूप ही प्रकाशित करते हुए टीकाकार टीका में हेतुओं की बौछार सी करके तथ्य सिद्धि करते हैं । वे लिखते हैं - "सपरत्वात्, बाधासहितत्वात् विच्छिन्नत्वात् बंधकारणत्वात्, विषमत्वाच्च पुण्यजन्यमपीन्द्रिय सुखं दुःखमेव स्यात् । " - श्रन्यस्थलों पर हेतु का हेतु प्रस्तुत करके हेतुहेतुभूत् शैली का परिचय दिया है । यथा "न खलु द्रव्यं व्यान्तरणामारम्भः सर्वद्रव्याणां स्वभावसिद्धत्वात्, स्वभावसिद्धत्वं तु तेषामनादिनिधनत्वात् श्रनादिनिधनं हि न हि साधनान्तर मपेक्षते | प्रस्तिनास्ति रूप कथन शैली : इस शैली में प्राचार्य अमृतचन्द्र तथ्य की सिद्धि एवं श्रद्धा की दृढ़ता हेतु एक ही श्रभिप्राय को अस्तिरूप से तथा नास्ति रूप से प्रस्तुत करते हैं। उदाहरण के लिए मोक्षमार्ग की ही सूचना करते हुए मोक्षमार्ग को आठ विशेषताओं द्वारा श्रस्ति तथा नास्ति उभय पक्षीय कथन द्वारा करते हुए लिखते हैं। १. .12 “मोक्षमार्गस्य तावत्सूचनेयम् । सम्यक्त्वज्ञानयुक्तमेव, नासम्यक्त्वज्ञानयुक्तं चारित्रमेवनाचारित्रं रागद्वेषपरिहीणमेव, न रागद्वेषापरिहीण, मोक्षस्यैव नभावतो बंधस्य, मार्ग एव, नामार्गः, भव्यानामेव, नाभव्यानां लब्धबुद्धीनामेव, नालब्धबुद्धीनां क्षीणकषायत्वे भवत्येव न कषायसहितत्वे भवतीत्यन्धा नियमोऽत्र दृष्टव्याः । ३ 7 ३. , F प्रवचनसार गाथा ७६ की टीका का अर्थ " पर सम्बन्धयुक्त होने के कारण, बाधासहित होने के कारण, विच्छिन्न होने के कारण, बंध का कारण और विषम होने के कारण इन्द्रियसुख - पुण्यजन्य होने पर भी दुःख ही है ।" प्रवचनसार गा. & की टीका का अर्थ "वास्तव में द्रव्यों से इव्यान्तर की उत्पत्ति नहीं होती क्योंकि सर्व द्रव्य स्वभावसिद्ध है तथा स्वभावसिद्धता भी अनादिनिधनता के कारण है। क्योंकि अनादि निधन को माधनान्तर की अपेक्षा नहीं होती ।” पंचास्तिकाय गावा १०६ "अर्थ - मोक्षमार्ग को ही यह सूचना है। वह मोक्ष मार्ग) सम्यक्त्व और ज्ञान सहित हो है, न कि सम्यक्त्व और ज्ञान रहित । चारित्र रूप ही है, न कि अनारित्ररूप राग द्वेष से रहित ही है, न कि राग द्वेष से सहित मोक्ष का ही मार्ग है, न कि भाव रूप से बंध का मार्ग
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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