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________________ कृतियाँ ! ३६३ है। सया लत वस्फोट:" यह नाम अंतिम वाक्यों में प्रयुक्त हुआ है। प्रथम नाग में 'मणित्" पद की जगह ''भणित'' भी हो सकता है । 'शक्तिमणितकोशः'' का अर्थ है शक्ति रूप मणियों से भरा खजाना । "शक्तिमाणितकोशः" पद का अर्थ है शक्तियों का कथन करने वाला खजाना। इसके अतिरिक्त "लघुतत्त्वस्फोट:" शब्द का अर्थ है तत्वों का. संक्षिप्त प्रकाशन । उपरोक्त तीनों अर्थ उक्त रचना की सार्थकता के द्योतक हैं । वास्तव में अमृतचन्द्र ने समयसार तथा : अव बनसार टीका के अंत में आत्मा की जिन शक्तियों का वर्णन किया है. उन्हीं का इस ग्रंथ में नये परिवेश में प्रतिपादन किया है । लघुतत्त्वस्फोट शीर्षक उसके अपरनाम की अपेक्षा अधिक.ग्राफर्षक प्रतीत होता है। प्रामाणिकता : स्तोत्र काव्यों को परम्परा के सर्वाधिक प्रसिद्ध अग्रणी प्राचार्य स्वामी समलभद्र के स्तोत्र काव्य अपनी पश्नात्वर्ती परम्परा के प्रमुख प्रेरणा स्रोत तथा आधार स्तम्भ हैं। उन्हीं की शैली का अनुकरण करते हए जिनेन्द्रस्तुति के नाम पर अमृत चन्द्र ने उक्त रचना की है। जिसमें समंतभद्र की ही भांति गम्भीर दार्शनिक तत्वों का विवेचन किया है। अतः अपने अन्य ग्रंथों बटीकायों के समान अमृत चन्द्र में इस ग्रंथ का भी महान तथा प्रामाणिक बनाया है। उन्होंने पूर्वोक्त स्वतन्त्र ग्रंथों तथा टीकाओं में णित तत्त्वों का स्तोत्र शैली में रसास्वादन कराया है, अतः उक्त रचना की प्रामाणिकता और भी अधिक बढ़ जाती है। स्वयं लेखक ने अंत में लिखा है कि म्यादाद के मार्ग में, निज त्र पर के श्रेष्ठ विचार में, ज्ञान तथा क्रिया के अतिशयपूर्ण बैभव की भावना में, शब्द और अर्थ की संघटन सम्बन्धी सीमा में तथा रस की अधिकता में व्युत्पत्तिविशिष्ट ज्ञान प्राप्त करने के इच्छुक अपज्ञ जनों को यह मेरी रचना दिशा प्रदर्शन करने वाली है। प्राधारस्रोत : आचार्य समंतभद्र का स्वयंभूस्तोत्र. सिद्धसेन दिवाकर का द्वात्रिंशतिका स्तोत्र मानतुंगाचार्य वा भक्तामर स्तोत्र से तीनों प्रमुख रूप से अमनचन्द्र के लघुतत्त्वस्फोट की रचना में प्रेरणास्त्रोत रहे हैं। स्वयंभूस्तोत्र के अनुकरण पर २४ तीर्थंकरों की स्तुति तथा गम्भीर तत्वविवेचन किया है । सिद्धसेन १. लपुतत्त्वस्फोट -- अध्याय २५ पशा २६ । २. वहीं - अध्याय २५ पद्म २७ !
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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