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________________ कृतियाँ | | २६ विद्वता श्रादि के दर्शन भी पद-पद पर होते हैं । संस्कृत भाषा का साधारण पाठक भी इन कलशों में निहित आनंद व शांतरस का रसास्वादन कर सकता है। इस पर रचित विभिन्न टीकाओं तथा भाष्यों के नाम मात्र इसकी महिमा के उद्घोषक है । परमाध्यात्मतरंगिणी टीका, अध्यात्म अमृतकलश टीका अमृतज्योति टीका, कलशागीत या निजामृतपान (पद्यानुवाद)... इत्यादि इसके उदाहरण हैं । समयसारकलश पर अभी तक भाषाओं में गद्य तथा पद्य में, विभिन्न विद्वानों की टीकाओं का प्रकाशन हो चुका है। इसकी प्रतिप्राचीन हस्तलिखित प्रतियां भी भारत के अनेकों स्थानों के जिनमन्दिरों तथा शास्त्र भण्डारों में विद्यमान हैं । तापीय तथा कपड़े पर भी कलापूर्ण ढंग से समयसार कलशों को लिखकर सुरक्षित रखा जाना उक्त ग्रंथ की महिमा का प्रमाण है । P अमृतचन्द्र के परवर्ती अनेक श्राचार्यो विद्वानों तथा लेखकों ने अपनी कृतियों, टीकाओं आदि में सर्वश्रेष्ठ प्रमाण के रूप में इन कलशों को उधृत किया है । उक्त समयसार कलश रखना के परिचय में विद्वानों ने मुक्तक प्रचंसा की है तथा सगर्व गौरवगाथा गाई है। पं. गजाघरलाल का अनुभव है कि आत्मख्याति टीका की शोभा इस ग्रन्थ बिना नहीं हो सकती । समयसार व उसकी टीका पढ़ने पर भी जबतक समयसारकलशों को नहीं पढ़ा जाता है, तब तक पूर्णरूप से आत्मा का अनुपम आनन्द नहीं आता है। पं. फूलचन्द शास्त्री के शब्द भी तथ्य प्रकाशक हैं । वे लिखते है कलाकाव्यों की रचना प्रसन्नभव्यजीवों के हृदयरूपी कुमुद को विकसित करनेवाली चंद्रिका के समान उनकी मनोहारिणी शैली का सुपरिणाम है। यह प्रमृत का निर्भर है और इसे निर्भरित करनेवाले चन्द्रोपम आचार्य अमृतचन्द्र हैं । २ नामकरण : ग्रन्थ के उक्त नामकरण के सम्बन्ध में लेखक की ओर से कहीं कोई संकेत नहीं मिलता, इससे स्पष्ट है कि उक्त पद्यों का संकलन एवं उनका "समयसारकलश नाम पश्चाद्वर्ती लेखकों द्वारा प्रदत्त है । यहाँ " नामकरण " का कर्ता कौन है ? कब नामकरण हुआ है ? इन प्रश्नों की अपेक्षा नामकरण कितना सार्थक है ? यह अधिक महत्वपूर्ण प्रश्न है, अतः " १. परमायात्मतरंगिणी - प्र. पू. प्रथम | २. समयसारकलश प्रस्तावना पृ. ६ । -
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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