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________________ ४ ] [ आचार्य अमृतचन्द्र : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व किया । न्यायदर्शन ने जहां अपनी उक्त १६ बातों के निरूपण व प्रचार में तर्क-न्याय तथा ज्ञानधारा को प्रतिष्ठित किया, वहीं जाने उक्त १६ पदार्थों में अनुमान निरूपण में "वेदिका हिंसा" का उचित ठहराया और यज्ञों में होने वाली पशुहिंसा को निषेष योग्य नहीं माना । इसे उसने साधन-अव्यापकत्व कहा।' इसी तरह वितण्डारा स्वपक्ष: सिद्धि की आवश्यकता का निषेध और एकमात्र परमत का खण्डन करना,या नसे दूषण लगाना मात्र प्रयोजन बताया। कुल निरूपण द्वारा प्रकृत में प्रयुक्त यथार्थ अभिप्राय ग्रहण न करके, अन्यथा कल्पना करके दोष देना। उचित ठहराया तथा जाति व निग्रहस्थान निरूपण द्वारा क्रमशः असत् { झूठ ) उत्तर देना, व किसी प्रकार की हीनता बताकर अपरपक्ष को पराजिन करने को न्यायमत ने न्यायोचित ठहराया । इस मत के प्रमुख विद्वानों में सूत्रकार वात्स्यायन (द्वितीय शतक विक्रम ) उद्योतकर (षष्ठम शतक विक्रम), बाचस्पति मिश्र (नवम शतक विक्रम). आचार्य उदयन (दशम शतक विक्रम), गंगेश उपाध्याय (बारहवीं शती) आदि उल्लेखनीय हैं। न्यायमत के अतिरिक्त इस धार्मिक स्पर्धा में वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा तथा वेदांत मतों के घरन्धर आचार्यों व विद्वानों ने भी यथाशक्ति भाग लिया । उपनिषदों का तत्त्वनिरूपण रहस्यपूर्ण था। उनमें एक सर्वशक्तिमान अदृश्य ब्रह्म (परमात्मा) की सत्ता की घोषणाएं प्रारंभ की गई। किन्तु 'ब्रह्म' का स्वरूप रहस्यमयी, अत्यंतगूढ़ और वचन अगोचर ही बताया। कठोपनिषद् में बाजधवस् के पुत्र नचिकेता का कथानक है, जिसमें नचिकेता मृत्यु के आचार्य से मृत्यु तथा आत्मतत्त्व के विषय में समझना चाहता है, तब मृत्यु के प्राचार्य अत्यन्त आश्चर्य चकित होकर कहते हैं कि इस विषय में अणुमात्र भी जानने योग्य नहीं है। इसलिए तुम कोई अन्य वरदान मांग लो। मैं तुम्हें पुत्र पौत्रादि, विपुल संपत्ति और लौकिक ऐश्वर्य देने को तैयार हूँ। परमात्मतत्व अत्यन्त गूढ़ है, १. “यज्ञीअपशुहिंसामा निषिद्धत्वाभावात ।" तक भाषा-केशवनिथ, पृष्ठ १३ २ वही, पृष्ठ २४४ ३. वही, पृष्ठ २५६ से २६२
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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