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________________ ३.८ | [ प्राचार्य मान-1 यकिन्त्र एवं कन त्व समयव्याझ्या नाम की सूचना दी है। इस श्राधार में भी जनः नामकरण की मार्थकता ठगन होती है। म टीका के दो नामों का उल्लेख और भी मिलता है जो बीपिका" तथा "त्वप्रदीपिका" हैं। श्रीमद् राजचंद्रशाश्रमाला वे. एक अन्य संस्करण में मुखपृष्ठ पर तत्वदीपिका तथा प्रकाशकीय निवेदन में समय व्याख्या गौर तल्वपती पिकावति इन तीनों नामों का उल्लेख है। यदि उपरोक्त तीनों नामों में कोई विशेष विप्रतिपत्ति प्रतीत नहीं होती. तथापि जल तबदीपिका लचा लवप्रदीपिका दोनों नाम प्रवचनमार की टीका के लिए निर्विवाद रूप से व्यवहृत है तथा टीकाकार द्वारा भी 'सत्यव्याख्या' शब्द का ही प्रयोग होने से इस टीका का उक्त नाम अधिक सार्थक एवं उचित है । टीकाकत स्व : समयसार की प्रात्मख्याति तथा प्रवचन सार की तत्त्वप्नदीपिका वृत्ति की तरह टीकाकार ने परमार्थदृष्टि ले समय व्याख्या टीका का कर्तृत्व वस्तुतत्त्य को सूचित करने की सामर्थ्य युक्त शब्दों को ही बताकर, निज के कर्तृत्व के विकल्प ना निषेध किया तथा अपने प्रापको स्वरूपगुप्त अमृतचन्द्रसूरि वाहा । उक्त कथन मे ही, व्यवहारिक दृष्टि से विचार करने पर, उक्त टीका के रचयिता भी प्राचार्य अमृतचन्द्र ही निस्संदेह रूप से प्रमाणित होते हैं। दूसरे, उक्त टीका के प्रत्येक अधिकार के अंत में प्राचार्य अमृतचन्द्र का नामोल्लेख हुया है तथा “इति समयव्याख्यायां श्रीमदमृतचन्द्रसुरि विरचितायामंतींत....... प्रथम श्रुतस्कंधः समाप्तः।" तीसरे, टीकाकार के पश्चाद्वर्ती सभी प्राचार्यों, विद्वानों तथा लेखकों ने उक्त टीका को एकमातेन प्राचार्य अमृतचन्द्र की ही माना, उल्लेख किया तथा प्रमाण रूप में प्रस्तुत किया है। इसप्रकार समयभ्याख्या टीका भी :: आचार्य अमृतनन्द्र की ही कृति है। १. (अ) तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, माग २ पृ. ४१७, (ब) पनास्तिकाय : तत्वदीपिका (राजचंद्र ग्रन्थमाला-प्रथम संस्करण १६६१, ... द्वितीय १६७२ मुखपृष्ट)। २. (अ) जन साहित्य का इतिहास-भाग २, प. १७३, (a) Pancastikayasara-Prof. A. Chakravartinayaner, Edn II, 1975. ३. पंचारितवाय. तत्त्वदीपिका (राजचंन मयमाला, तृतीय संस्करण १६७९)" - -----
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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