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________________ । प्राचार्य अमृतचन्द्र : व्यक्तित्व एवं कर्तृव ग्रा, कं. अगास प्रति सोनगढ़ प्रति, महावीरजी प्रति, भावनगर प्रति २ एष एष एष: ३ तीर्थनायकः तीर्थनायकैः तीथनायकः तीर्थनायक: टीका है टीका है टीका मुद्रित नहीं टीका हैं १० मविरोधाच्च मविरोधोच्च मविरोधाच्च मविरोधाच्च १३ प्रार्थनीयम प्रार्थनीयम प्राथनीयम् प्रार्थनीयम १५ बिम्भितं विज़म्भित विचम्भित विजृम्भित २२ क्षयक्षण एव क्षयक्षण एव क्षयक्षागे एव क्षयक्षण एव २२ बलाधान बलाधान बलाधान बलाधान इसप्रकार तुलनात्मक विवरण में स्पष्ट होता है कि अगास, सोनगढ़ तथा भावनगर की प्रतियों के पाठ शुद्धरूप से मुद्रित हैं तथा महावीरजी की प्रति का पाठ शुद्ध रूप से मुद्रित नहीं है । परम्परा : तत्त्वप्रदीपिका का में द्रश्य पहा विष: श्री संतांतिक निरूपण है । इसमें ज्ञानतत्व झंयतत्व तथा चरणानुयोग का मामिक स्पष्टीकरण हुया है तथा स्वात्मोपलब्धि का श्रेष्ठ मार्ग प्रदशित किया गया है। इसमें भी पूवाचार्य परम्परा में निरूपित सिद्धांतों का सम्पोषण एवं व्यापक स्पष्टीकरण हुआ है । दार्शनिकता का उत्कर्ष, प्रौढ़ता का परिपाक तथा पाण्डित्य का प्रदर्शन, तीनों युगपत् प्रकट हुए हैं। तत्त्वप्रदीपिका का व्यापक प्रचार प्रसार तथा उसके आधार पर अनेक अन्य टीकाओं, भाष्यों आदि की विपुलमात्रा में रचना एवं प्रकाशन आचार्य अमृतचन्द्र की कृति को महानता के द्योतक हैं । प्राचार्य कुन्दशुल्द द्वारा प्रतिपादित दार्शनिक सिद्धान्तों की परम्परा का पूर्णतः निर्वाह हुआ है । प्राचार्य अमृतचन्द्र ने अपने पूर्व की हजार वर्षीय परम्परा को प्रदीप्त कर अपन पश्चातवर्ती नखकों एवं तत्वरसिकों की आगामी हजारों वर्षों की परम्परा को प्रकाशित किया है । निरूपण प्रणाली : तुल्यप्रदीपिका में प्राचार्य अमृतचन्द्र ने प्रोड, दार्शनिक एवं ताकिक प्रणाली को अपनाया हं । समस्त निरूपण बुक्ति, तर्क. ग्राममप्रमाण तथा दृष्टातों से भक्ति है । न्यायली में अनुमान के अंग, प्रतिज्ञा, हनु, उदाहरण, उपनय तथा निगमन का विशेष प्रयोग किया है। सिद्धान्तों की सिद्धि, सयुक्तिका परमत खजन तथा रवमल मण्डन के साथ की है। इस टीका में
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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