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________________ कृतियाँ | [ २४१ मन्दिर जयपुर में भी उपलब्ध है । उक्त टीका की प्रति रायल एसियाटिक सोसाइटी बम्बई में भी है । इसी तरह पं. टोडरमलजी तथा भूधर मिश्र की रचना के पूर्व पं. भूधरदास ने भी एक टीका पुरुषार्षसिद्धयुपाय पर सम्वत् १८०१ में लिखी थीं, जिसकी प्रतिलिपि (सम्वत् १९५२ की ) दिगम्बर जैन तेरहपंथो बड़ामन्दिर जयपुर में उपलब्ध हैं । यह टीका हिन्दी में है। इसके अतिरिक्त पुरुषार्थसिद्ध युपाय की उपर्युक्त टीकाकारों की विभिन्न सम्वत्सरों की हस्तलिखित अनेक प्रतियाँ विभिन्न स्थानों पर विद्यमान है । उनमें अजमेर, अलवर, दौसा, बयाना, नागदी (बून्दी), टोक, इन्दरगढ़ ( कोटा ), महावीरजी पियारी, भरतपुर, कामा, डीग, करौली, बन्दो तथा जयपुर के जैन मन्दिरों के शास्त्र भण्डारों में पुरुषार्थ सिवाय की प्रतियाँ उपलब्ध हैं । पुरुषार्थसिद्धयुपाय की हस्तलिखित ताड़पत्रीय प्रतियाँ भी अनेक स्थलों पर उपलब्ध होती है। भट्टारक लक्ष्मीसेन जैन सिद्धांत श्रुत भण्डार कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में एक ताड़पत्रीय प्रति उपलब्ध है, जिसकी आकृति ७६ १३ इंच है। इसमें लिपि कश्नड़ भाषा की है, परन्तु प्राचार्य अमृतचन्द्र के मूल संस्कृत पद्य हैं । पुरुषार्थसिद्धयुपाय को मुद्रित प्रतियों में सर्वाधिक प्राचीन प्रकाशन सन् १६६७ ईस्त्री का उपलब्ध हुआ है। इसके मराठी टीकाकार रा. रा. कृष्णाजी नारायण जोशी है । इसका प्रकाशन वेलगांव (महाराष्ट्र) से हुआ है। इस प्रकाशन की कुछ विशेषताएँ इस प्रकार हैं - १. इस कृति के मराठी अनुवाद का श्राधार दो प्रतियाँ रही है। एक प्रति द्रविड़ी लिपि में ब्रह्मसूरी शास्त्री के पास से जयराव नैनार द्वारा की गई लिपि हैं तथा दूसरी प्रति जयपुर के मठ की है। १. राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की सूची, भाग ४ पृष्ठ ६= २. पुरुषाद्धि युपाय प्र. पृष्ठ ५ (सन् १९०४ का संस्करण) संपादक पण्डित नाथूराम प्रेमी । ३. राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की सूची, भाग ४, पृष्ठ ६६ ४. वही भाग ५ पृष्ठ १३४-१३५ ५. पुरुषाचं सिद्ध युगाय, प्र. पुष्ठ प्रथम ( रा. रा. कृष्णाजी नारायण जोशी कृत मराठी टीकर)
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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