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व्यक्तित्व तथा प्रभाव ]
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ब्राह्मचारी शीतलप्रसाद पर प्रभाव (१८७८-१९४८ ईस्वी) -- न. शीतलप्रसाद अग्रवाल गोयलगोत्रीय धावक थे। आपने अपने जीवनमें ज्ञान का अद्वितीय प्रकाश किया । आप कर्मठ, विरागी एवं प्रभावशाली विद्वान थे। आपका जन्म १६:१० ईस्वी में लथा निमः ४. ईश्वी में हुप्रा था ।' आपकी रचनाओं में प्रमुख है - नियमसार भाषाटीका, पंचास्तिकाय टीका (दो खण्डों में) प्रवचनसार टीका (तीन खण्ड ), समयसार तथा समग्रसार कलश भाषा टीका आदि । आप भी आचार्य अमतचन्द्र के व्यक्तित्व एवं ग्रन्थों से प्रभावित थे जिनके कुछ आधार इस प्रकार हैं -
१. उन्होंने समयसार तथा समयसार कलश पर हिन्दी टीकाएं रची जो अमतचन्द्र की कृतियों में वर्णित भावों से अनुप्राणित हैं।'
२. उन्होंने प्रवचनसार की टीका में अपने विचारों के स्पष्टीकरण एवं प्रमाणीकरण के लिए आचार्य अमृतचन्द्र के ग्रन्थों से काई प्रमाण प्रस्तुत किये हैं। उदाहरण के लिए प्रवचनसार टीका के तृतीय खण्ड में विभिन्न स्थलों पर समयसार कलश के पांव पद्य' तत्त्वार्थसार के आठ पद्य तथा पुरुषार्थसिद्ध युपाय के १३ पद्य उद्धृत किये गये हैं।
३. स्वयं ब्रह्मचारी जी ने एक स्थल पर प्राचार्य अमृतत्रन्द्र की महान् आत्मज्ञानी, न्यायपूर्ण, सुन्दर लेख आदि शब्दों द्वारा प्रशंसा की है । भट्टारक वीरसेन कारंजा के सानिध्य में उन्होंने अमृतचन्द्र की समयसार प्रात्मख्याति टीका का गहन अध्ययन किया था।
इस तरह स्पष्ट होता है कि वे अमृतचन्द्र के व्यक्तित्व एवं ग्रंथों से प्रभावित थे ।
१. जैन सिद्धान्त कोश, भाग ४, पृष्ठ ३० २. आगमपथ (शीतलजन्मशताब्दि विशेषांक), पृष्ठ ७४ ३. प्रवचनसार टीका, तृतीय खण्ड, प्रारम्भिक पद्य १३, १४ ४. वहीं, खण्ड ३, पृष्ठ २४२, २७०, ३३६, ३४७ ५. बही, खण्ड ३, पृष्ठ ७, २२८, २६० ६. वही, खण्ड ३, पृष्ठ १०३, १.७, ११२, ११४, ११५, १७८, २७० ७. सहजसुनसाभन भूमिका, पृष्ठ ३ .