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________________ व्यक्तित्व तथा प्रभाव ] [ २०५ उल्लेख पं. बनारसीदास ने अपने ग्रन्थ समयसार नाटक में किया है। इससे सभी पर प्राचार्य अन्तयन् का प्रनाथ स्पष्ट प्रगट होता है। पं. जोषराज गोदीका पर प्रभाव (१६४३-१७०३ ईस्वी) -- पं. जोधराज गोदीका सांगानेर के निवासी थे। उनका समय १६४३ से १७०३ ईस्वी के बीच का है । उनको कृतियों में धर्मसरोवर, सम्यक्त्वकौमुदी भाष्य, प्रीतंकरचरित्र, कथाकोश, प्रवचनसार, भावदीपिकावचनिका, ज्ञानसमुद्र इत्यादि प्रमुख हैं।' पं. जोधराज गोदीका पर प्राचार्य अमृतचंद्र का प्रभाव निम्न आधारों से स्पष्ट होता है - १. उन्होंने अमतचन्द्रकृत प्रवचनसार की टीका का गम्भीर अध्ययन किया तथा उसके हो भावों को पद्यों में अभिव्यक्त किया। २. स्वयं उन्होंने उक्त पद्यानुवादरूप भाषाटीका की प्रशस्ति में इस बात का उल्लेख किया है कि आचार्य अमृतचन्दकृत प्रवचनसार की टीका पण्डितों द्वारा पूज्य तथा अनुपम है। उनकी टोका पं. हेमराज ने ने 'तत्त्वदीपिका वचनिका' नाम से की है। इन प्रकार के उल्लेखों से आचार्य अमृतचन्द्र का प्रभाव कवि पं. जोधराज गोदीका पर भी लक्षित होता है। पं. हेमराज पर प्रभाव (ईस्वी सत्तरहवी शती- पं. हेमराज आगरा निवासी तथा गर्ग मोत्रीय थे। वे पं. रूपचन्द के शिष्य थे तथा पाण्डे उपनाम से जाने जाते थे। उनका समय ईस्वी की सत्तरहवी शती या । इनकी प्रमुख कृतियां प्रवचसार टीका, पंचास्तिकाय टीका, भक्तामरभाष्य गोम्मटसार बच निका तथा नयचक्रवचनिका आदि हैं। पं. हेमराज भी आचार्य अमुतचन्द्र से प्रभावित रहे हैं । इसका सर्वप्रथम आधार यही है कि उन्होंने आचार्य अमृतचन्द्र कृत प्रवचनसार तथा पंचास्तिकाय की टीका के आधार पर हिन्दी बचनिकाएं लिखी पं. कुन्दावनदास ने प्रवचनसार की टीका की प्रस्ति में इसका उल्लेख भी किया है जो इस प्रकार है १. जैन सिद्धांत कोश, भाग २, पृष्ठ ३४५ २. प्रशस्ति संग्रह, पृष्ठ २३७ (कस्तूरचन्द कासलीवास कृत) ३. जैन सिद्धांत कोश, भाग ४, पृष्ठ ५४४
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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